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आज के इस दौर में अगर व्यक्ति एक बार प्रधान भी बन जाए तो उसके कदम ताल बदल जाते हैं, प्रधान बनने के बाद से ही वह अपने आपको सर्वोपरि समझने लगता है. लेकिन कुछ नेता ऐसे भी रहे हैं जो चाहे जितना ऊपर तक चले गए हो लेकिन उन्होंने अपने पुराने तेवर को नहीं छोड़ा, आज हम आपसे ऐसे नेता के ही बारे में बात करेंगे जो 2 बार विधायक और एक बार कैबिनेट मंत्री रहें इसके बाद भी उन्होंने ना अपने पुश्तैनी मकान को छोड़ा और ना ही खेती-बाड़ी को.

हिमांचल प्रदेश के केवल सिंह 2 बार विधायक और एक बार कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं लेकिन आज भी वो अपनी पत्नी के साथ छोटे से घर में रहते हैं, साल 1937 में जन्में केवल सिंह पठानिया 2 बार विधाक और एक बार कैबिनेट मंत्री रहने के बावजूद अपने पुश्तैनी स्लेटपोश में रहते हैं और खेतीबाड़ी कर भोजन का प्रबंध करते हैं.

82 साल के हो चुके केवल सिंह पठानिया आज भी सुबह 6 बजे उठ जाते हैं रोज 10 किलोमीटर पैदल चलते हैं और खेतीबाड़ी कर 9 बजे तैयार होकर किसी पंचायत में दौरे के लिए निकल जाते हैं और वहां पर ही लोगों के बीच में समय बिताते हैं. केवेल सिंह कहते हैं लोगों के बीच में रहना ज्यादा सुकून भरा होता है.

केवल सिंह पठानिया कांग्रेसी परिवार से होने के बावजूद निर्दलीय या अन्य दलों से चुनाव लड़े. साल 1968 में पहली बार वो ब्लाक समिति के अध्यक्ष चुने गए. 1972 में उन्होंने निर्दलीय के रुप में पर्चा दाखिल किया और इस दौरान सत महाजन को पहली बार चुनाव में पटखनी दी.

सत महाजन को हराने के बाद भी उनकी कांग्रेस पार्टी में एंट्री नहीं हुई क्योंकि इस समय सत महाजन को कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष के रुप में स्वीकार कर लिया था. इसके बाद साल 1977 और 1982 में वो सत महाजन से चुनाव हार गए.

1989 में वीरभद्र का दबाव एक बार फिर पठानिया पर पड़ा और चुनाव लड़े इस बार उन्होंने जनता दल के झंडे के नीचे चुनाव लडा और सत महाजन को हराया. साल 1993 में जनता दल का विलय कांग्रेस पार्टी में हुआ तो पठानिया ज्वालामुखी से चुनाव जीते तथा कांग्रेस सरकार में परिवहन मंत्री बनें.

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