झारखण्ड में टाना भगतों के आंदोलन के चलते दिल्ली-रांची रूट पर रेल आवागमन ठप हो गया. गुरुवार को दिल्ली से चलकर रांची जाने वाली राजधानी एक्सप्रेस को 9 घंटे के इंतजार के बाद अपने यात्रियों को बस के जरिए रांची भेजना पड़ा. लेकिन एक यात्री ने बस से जाने से इनकार कर दिया. जिसके लिए रेलवे को अंत में राजधानी एक्सप्रेस चलानी ही पड़ी.

राजधानी एक्सप्रेस में कुल 930 यात्री सवार थे. ट्रेन न चल पाने पर रेलवे ने बसों का इंतजाम किया. 929 यात्री बस से रवाना हो गए लेकिन अनन्या ने बस से जाने से इनकार कर दिया. अनन्या मुगलसराय से राजधानी एक्सप्रेस में सवार हुई थीं. वे बनारास में रहकर एलएलबी कर रही हैं.

अनन्या को बस से जाने के लिए न सिर्फ रेलवे अधिकारियों ने समझाया बल्कि सफ़र कर रहे यात्रियों ने भी मनाने की पूरी कोशिश की लेकिन अनन्या अपने फैसले पर ही कायम रहीं. जिद पकड़ ली कि जाउंगी तो राजधानी एक्सप्रेस से ही. बस से जाना होता तो ट्रेन का टिकट क्यों लेती. बस से सफ़र कर रांची आती. टिकट राजधानी एक्सप्रेस का है तो इसी से जाउंगी.

कहा कि यात्री को गंतव्य तक पहुंचाना रेलवे का फर्ज है इसलिए वो बस से नहीं जाएंगी. रेलवे अधिकारियों ने कार से भेजने की बात भी कही लेकिन जाने से इनकार कर दिया. आखिरकार रेलवे को ही झुकना पड़ा. रेलवे के उच्च अधिकारियों ने युवती के लिए ट्रेन चलाने का आदेश दिया. जिसके बाद अधिकारियों ने दिल्ली-रांची राजधानी रूट बंद होने की वजह से पहले गया भेजा यहां से गोमो और बोकारो होते हुए रांची रवाना किया गया.

रेलवे के इतिहास में पहली बार हुआ ऐसा!

शायद रेलवे के इतिहास में ये पहला वाकया होगा जब एक सवारी को छोड़ने के लिए राजधानी एक्सप्रेस ने 535 किलोमीटर की दूरी तय की. अनन्या रांची के एक्सइसी कालोनी की रहने वाली हैं, जो बीएसयू में एलएलबी कर रही हैं.

ट्रेन रात करीब 1 बजकर 45 मिनट पर रांची स्टेशन पहुंची. जिसमें रेलवे कर्मचारियों को छोड़कर अनन्या अकेले सवार थीं. सुरक्षा के लिए एक आरपीएफ जवाव भी था.

क्या बोलीं अनन्या?

अपनी जिद पर अनन्या ने गोमो स्टेशन पर कहा कि डालटनगंज में पहले ट्रेन खड़ी रही. फिर रेलवे ने कुछ खटारा टाइप की बस दिखाकर इसमें जाने के लिए कहा. सभी यात्री उतरने लगे. मैंने कहा कि यात्री को रांची तक पहुंचाना आप लोगों की जिम्मेदारी है, अपनी जिम्मेदारी से नहीं भाग सकते हैं. बावजूद वे सुनने को तैयार नहीं थी.

आगे कहा कि मैं अंदर बैठी रही. कभी रेलवे के लोग आते तो कभी यात्री आकर उतारने की कोशिश करते. कहते जिद छोड़िये. सिर्फ आपके लिए ट्रेन नहीं चलेगी, लेकिन मैंने हार नहीं मानी और साफ़ कह दिया कि रेलवे मुझे गंतव्य तक पहुंचाए.

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