समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के निर्देश पर आज समाजवादी व्यापार सभा ने प्रदेश के सभी जिलों में जीएसटी के विरूद्ध राज्यपाल को संबोधित ज्ञापन देने का अभियान चलाया.
कानपुर में सपा व्यापार सभा के प्रदेश महासचिव अभिमन्यु गुप्ता और नगर अध्यक्ष जितेंद्र जायसवाल के नेतृत्व में व्यापारी गढ़ लाल टोपी लगाकर कलेक्ट्रेट में ज्ञापन देने पहुंचे तो सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें गेट पर ही रोक दिया. इसके बाद सपा नेताओं और सुरक्षाकर्मियों के बीच तीखी झड़प हो गई, सपा नेताओं ने गेट पर धरना देने की बात कही तो प्रशासन ने उन्हें अंदर जाने की इजाजत दे दी.
सपा व्यापार सभा की ओर से दिए गए ज्ञापन में कहा गया है कि मोदी सरकार द्वारा लागू किया गया जीएसटी इतना जटिल व विसंगतिपूर्ण है कि लागू होने के बाद से अब तक लगभग 900 से ज़्यादा संशोधन हो चुके हैं जो इस बात का प्रमाण हैं की सरकार ने बगैर तैयारी बगैर सलाह किये और बगैर व्यापारियों को विश्वास में लिए ही नोटबन्दी की ही तरह जीएसटी भी लागू कर दिया था.
सपा नेताओं ने कहा कि जीएसटी इतना जटिल और अव्यवहारिक है की स्वयं विभाग के अधिकारी व सीए/अधिवक्ता भी इसको समझ नहीं पाते हैं तो आम व्यापारी इसको क्या समझेगा. किसी भी संशोधन से पहले व्यापारियों से कोई बातचीत नहीं की गई और न ही जीएसटी को लेकर व्यापारियों की परेशानियों को जानने का कोई प्रयास ही किया. प्रतिदिन एक नया प्रावधान लागू कर दिया जाता है जिसकी क्रियान्वन करना व्यापारियों के लिए बेहद मुश्किल भरा है.
अभिमन्यु गुप्ता ने कहा कि वन नेशन वन टैक्स का वादा करके भाजपा सरकार ने अपने खजाने को भरने के लिए पेट्रोल, डीज़ल, बिजली को जीएसटी से बाहर रखा. ज्ञापन में आगे कहा गया की भाजपा सरकार ने जल्दबाजी में बगैर तैयारी बगैर सलाह के नोटबन्दी, फिर जीएसटी और फिर लॉकडाउन लागू करके देश विशेषकर उत्तर प्रदेश के करोड़ों व्यापारियों को बर्बाद कर दिया है.
ज्ञापन के माध्यम से मांग रखी गई की वर्तमान स्वरूप में जीएसटी को रद्द करके व्यापारी प्रतिनिधियों से सलाह करने के बाद ही उचित बदलाव करके नया कानून बनाएं ताकि व्यापार लायक माहौल बन सके. यह देश और व्यापारियों के हित में होगा.
इस मौके पर प्रदेश महासचिव अभिमन्यु गुप्ता, कानपुर महानगर अध्यक्ष जितेंद्र जायसवाल, उपाध्यक्ष मनोज चौरसिया, बॉबी सिंह, कोषाध्यक्ष शुभ महेश्वरी, गुड्डू यादव, रचित पाठक, अनुज अग्रवाल, रसिक यादव, अरुण कुमार, शफीक सुनार, सोनू वर्मा, शानू सोनकर, भूपिंदर सिंह आदि थे.