उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव भले ही साल 2022 में होने हों मगर यहां की सभी सियासी पार्टियां अभी से ही चुनाव की तैयारी में जुट गई हैं. एक तरफ बीजेपी अपना संगठन मजबूत करने में लगी है तो दूसरी तरफ सपा लगातार अपने कुनबे को बढ़ा रही है. कांग्रेस और बसपा भी पीछे नहीं हैं. अन्य छोटे दल भी अपना टिकाना ढूंढने में जुट गए हैं.

राजनीतिक जानकार ये अनुमान जता रहे हैं कि दलित मुस्लिम गठजोड़ का बिहार वाला फार्मूला अब यूपी में भी इस्तेमाल करने की तैयारी चल रही है. बिहार में पांच सीटों पर मिली जीत से उत्साहित ओवैसी अब यूपी में संगठन विस्तार करने में जुट गए हैं.

पिछले एक महीने में एआईएमआईएम यूपी के 20 जिलों में नए अध्यक्ष बना चुकी है. पार्टी नए सदस्यों को भी जोड़ने के काम में लग गई है. एआईएमआईएम यूपी अध्यक्ष शौकत अली ने कहा कि ओवैसी और मायावती मिलकर यूपी में सांप्रदायिक ताकतों को आने से रोक सकते हैं.

उन्होंने कहा कि दलितों और मुस्लिमों की समस्याएं एक जैसी हैं और दोनों की आबादी भी लगभग बराबर ही है. एक बीएसपी नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा है कि यूपी में दलित मुस्लिम गठजोड़ के फार्मूले को अपनाया जा सकता है.

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