IMAGE CREDIT-SOCIAL MEDIA
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बजट को लेकर कहा है कि केन्द्र सरकार का बजट नहीं मायूसी का दस्तावेज है. बजट में मिले धोखे को किसान-नौजवान, छोटा कारोबारी, नौकरी पेशा कोई भी भूल नहीं पाएगा. चुनाव से पहले भाजपा ने जुमले और सपने बेचे, सरकार बनने के बाद अब वह जमीन से लेकर जमीर तक बेचने पर आमादा हो गई है.
भाजपा सरकार में लोगों के लिए अच्छा कुछ भी नहीं है. बड़े-बड़े अर्थशास्त्री भी बजट में माइक्रोस्कोप लगाकर भी किसी के लिए अच्छे दिन नहीं ढूंढ पा रहे हैं. पेट्रोल-डीजल पर अतिरिक्त सेस, यूरिया सब्सिडी और पोषण आधारित सामग्री पर सब्सिडी आवंटन में भारी कटौती कृषि विनाशक नीतियों का परिचायक है.
कहा कि  अब तो लगता है कि राजनीतिक दल के रूप में भाजपा का रूपांतरण ट्रेडिंग कम्पनी के रूप में हो गया है. उसका काम विपक्षी विधायकों की खरीद फरोख्त और राष्ट्रीय सम्पत्तियों को चंदघरानों को देकर रकम एकत्र करना रह गया है.
भाजपा सरकार की तमाम घोषणाएं सिर्फ रोकड़ा बटोरने की कोशिश साबित होंगी.  भाजपा समझती है कि किसानों का दिल खेती में नहीं, टैबलेट में बसता है. वित्तमंत्री जी ने अपना बजट भाशण इस बार टैबलेट से ही पढ़ा था। आखिर किसान उनके टैबलेट का क्या करेंगे, उसे ओढेंगे या बिछाएंगे? कृषि एवं सहायक क्षेत्रों के लिए मात्र 2.02 प्रतिशत आंवटन बढ़ाकर प्रधानमंत्री जी कहते हैं उनके दिल में है किसान-गांव. इससे बड़ा किसानों का क्या उपहास होगा?
IMAGE CREDIT-SOCIAL MEDIA
रोजगार सृजन की कई कहानियां भाजपा सरकार सुनाती रहती है लेकिन हकीकत यह है कि मनरेगा के मद में आंवटन 30 प्रतिशत कम कर दिया गया है. ग्रामीण परिवारों पर इससे बड़ा दबाव बढ़ेगा। इस बजट में किसी सुधार की शुरूआत नहीं की गई है.  सीमा शुल्क, जीएसटी कानून का ढांचा पूरी तरह अतार्किक है.  भारत सरकार उन राज्यों को झांसे में लेना चाहती है जहां चुनाव होनें हैं.  जहां चुनाव नहीं होने है उनकी उपेक्षा कर दी गई है.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here