सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के जन्मदिन के बहाने सैफई के यादव कुनबे में एकजुटता की कोशिश एक बार फिर से तेज हो गई है. प्रसपा के नाम से अलग पार्टी बना चुके शिवपाल सिंह यादव की ओर से 22 नवंबर को सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव का जन्मदिन एक साथ मनाने के प्रस्ताव पर सपा मुखिया अखिलेश यादव की चुप्पी ने एकता की कोशिशों पर सवालिया निशान लगा दिया है.
प्रसपा मुखिया शिवपाल सिंह यादव के आए दिन बदल-बदलकर आने वाले बयानों के कारण इस गुत्थी को और सुलझा दिया है. हालांकि दोनों दलों के समर्थकों का मानना है कि यादव कुनबे में शायद ही पहले जैसी बात दिखाई देगी. चाचा और भतीजे के बीच रही रार और फासले को पाटना आसान नहीं दिखाई दे रहा है.
.हालांकि हाल में ही उपचुनाव में सपा को मिली तीन सीटों ने संजीवनी का काम कर दिया है. अखिलेश के नजदीकी माने जाने वाले एक पूर्व मंत्री का कहना है कि शिवपाल के जाने से पार्टी को जितना नुकसान होना था, वह हो चुका है. अब पार्टी को नए सिरे से तैयार करने की जरुरत है. ताकि जनता भाजपा का विकल्प सपा को ही मानने लगें.
शिवपाल द्वारा अखिलेश को मुख्यमंत्री बनाने वाले के बयान पर सपा की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं हैं. एकजुटता को लेकर इससे पहले भी कई बार बयानबाजी हो चुकी है. लेकिन दोनों ओर से ही काफी संभल कर बयान दिए जाते रहे हैं. अखिलेश का शिवपाल को लेकर रुख क्या है, वह अभी तक समझ पाना मुश्किल ही रहा है.