केंद्र की मोदी सरकार द्वारा लागू किए गए नए कृषि कानूनों के विरोध में किसानों का आंदोलन लगातार जारी है. बीते 40 से अधिक दिनों से किसान इतनी कड़कड़ाती ठंड के मौसम में दिल्ली से सटी सीमाओं पर खुले में बैठे हुए हैं. ठंड और बारिश भी उनके हौसले को डिगा नहीं पाई है.
किसानों के इस आंदोलन का विपक्षी पार्टियां भी खुलकर समर्थन कर रही हैं. तमाम विपक्षी दलों के नेता लगातार अपने बयानों ने सरकार पर दबाव बनाने में जुटे हुए हैं. समाजादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी लगातार किसानों के समर्थन में बयान दे रहे हैं और उनकी पार्टी समाजवादी घेरा चौपाल लगा रही है.
आज अखिलेश यादव ने ट्वीट कर कहा कि भाजपा सरकार की सबसे बड़ी समस्या ये है कि वो आने को जन प्रतिनिधि नहीं बल्कि धन प्रतिनिधि समझती है. इसीलिए धनवानों के लिए वो किसानों पर दांव लगा रही है.
उन्होंने कहा कि भाजपा भूल रही है कि वो जिन्हें नुकसान पहुंचा रही है वो संकट से संघर्ष करने वाले देश के वो दो तिहाई लोग हैं जो कभी हार नहीं मानते.
बता दें कि कल अखिलेश यादव ने कहा था कि भाजपा सरकार ने आज फिर निरर्थक वार्ता करके अगली तारीख़ दे दी. हर बार आधा दिन गुजार कर 2 बजे बैठक करने से ही लगता है कि भाजपा सरकार आधे मन से आधे समय काम करके, इस आंदोलन को लम्बा खींचना चाहती है, जिससे किसानों का हौसला टूटे पर किसान टूटनेवाले नहीं, सत्ता का दंभ तोड़नेवाले हैं.