उत्तर प्रदेश के कानपुर के बहुचर्चित बिकरु कांड में आरोपी रहे अमर दुबे के मामले में एक मजिस्ट्रेटी रिपोर्ट सामने आई है. अमर जिले को मौदहा पुलिस और एसटीएफ टीम द्वारा मुठभेड़ में मार गिराने के मामले को मजिस्ट्रेट ने सही बताया है.

कहा जा रहा है जांच अधिकारी ने डीएम समेत अफसरों को भेजी गई 200 पन्नों की रिपोर्ट भेजी है इस रिपोर्ट में कहा गया है उस समय की परिस्थितियों के लिहाज से एनकाउंटर गलत नहीं था. रिपोर्ट में जांच अधिकारी ने सभी पुलिसकर्मियों को क्लीनचिट दी है.

गौरतलब है कि 2 जुलाई 2020 को कानपुर के बिकरु गांव में गैंगस्टर विकास दुबे और उसके गुर्गों ने उसे गिरफ्तार करने गई पुलिस पार्टी पर हमला कर दिया था. इस दौरान 8 लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया था. इस मामले में एक आरोपित अमर दुबे का एनकाउंटर मौदहा में हुआ था.

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक मजिस्ट्रेटी जांच कर रहे अपर जिलाधिकारी विनय प्रकाश श्रीवास्तव ने गृहमंत्रालय समेत संबंधित अफसरों को 216 पन्नों की रिपोर्ट भेज दी है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक जांच रिपोर्ट के हवाले से कहा गया है कि 8 जुलाई 2020 को जिले के मौदहा पुलिस व एसटीएफ की संयुक्त मुठभेड़ में अमर दुबे की मौत हो गई थी.

कुछ इस तरह हुई थी मुठभेड़

13 से 17 जुलाई के बीच आम लोगों के साक्ष्य मांगे गए. इस दौरान किसी के सामने नहीं आने पर इस अवधि का बढ़ाया गया. उसके अलग-अलग लोगों के बयान दर्ज करके सच्चाई जानी गई. विधि विज्ञान प्रयोगशाला लखनऊ की बैलेस्टिक रिपोर्ट में अमर दुबे के हाथ में पिस्टल होने और उसके लगातार फायरिंग का जिक्र है.

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जांच में मृतक अमर के दाहिने हाथ में गोली के अंदर होने वाले नाइट्राइट के मिलने की भी पुष्टि हुई है. इससे स्पष्ट होता है वो फायरिंग कर रहा था. जांच रिपोर्ट के अनुसार पुलिस और एसटीएफ के लोगों ने इस दौरान अमर दुबे को सरेंड़र करने के लिए कहा. इसके बावजूद वो फायरिंग करता रहा है. आत्मरक्षा और कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए पुलिस की टीमों ने इस दौरान जवाबी फायरिंग की, इसमें घायल होने पर उसे मौदहा सीएचसी लाया गया जहां पर उसकी मौत हो गई.

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