कृषि कानूनों के विरोध में दो महीने से चल रहे आंदोलन में गुरुवार की घटना ने नयी जान फूंक दी है. भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत की भावुक अपील के बाद किसानों का गाजीपुर बॉर्डर पर पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया. अब तक आन्दोलन स्थल पर करीब चार गुना संख्या बढ़ गयी है.

26 जनवरी की घटना के बाद जाओ तंबू उखड़ने शुरू हो गए थे और लंगर बंद कर दिए गए थे वो शुक्रवार को फिर से लगने शुरू हो गए. आंदोलन स्थल का नजारा बिल्कुल बदल गया है किसानों में नयी ऊर्जा देखी जा रही है.

राकेश टिकैत की अपील के बाद गुरुवार रात से किसानों की बड़ी संख्या में पानी लेकर गाजीपुर बॉर्डर पहुँचने का सिलसिला शुरू हुआ जो शुक्रवार देर रात तक जारी रहा. हरियाणा, पंजाब और उत्तराखंड से भी किसान बड़ी संख्या में आंदोलन स्थाल पर पहुंचे. शुक्रवार सुबह सामान्य दिनों के तहत मंच सजा तो सरकार के खिलाफ किसानों नेताओं ने मोर्चा खोला.

दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया से लेकर कांग्रेस से अलका लांबा और रालोद उपाध्यक्ष जयंत चौधरी समेत अन्य बड़े नेता आंदोलन स्थल पहुंचे. किसानों की संख्या बढ़ी तो यूपी गेट अंडरपास और दिल्ली मेरठ एक्सप्रेसवे पर नोएडा सेक्टर 62 की तरफ तम्बू और टेंट लगने शुरू हो गए. जबकि आंदोलन का रुख बदलता देख प्रशासन ने भी पानी और बिजली की सप्लाई शुरू कर दी.

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