विकास दुबे ने अपने खौफ और बाहुबल के दम पर बिकरू गांव की प्रधानी को 25 साल तक अपने कब्जे में कर रखा था. अब बिकरू में लोकतंत्र का उदय हो गया. बीते 26 मई को इस गांव के लोगों के लिए गणतंत्र दिवस से कम नहीं था. बिकरु गांव की नवनिर्वाचित प्रधान मधू ने शपथ लेने के बाद अपने तेवर दिखाए.

प्रधान मधू ने कहा कि गांव में सिर्फ विकास होगा, लेकिन विकास दुबे नहीं. गांव में अब किसी दूसरे विकास दुबे को नहीं पनपने दिया जाएगा.

पंचायत चुनाव 2021 बिकरु गांव के लिए नया सवेरा लेकर आया है. बिकरू में 25 साल बाद प्रत्याशियों ने खुलकर प्रचार प्रसार किया था. गांव में होर्डिंग और पोस्टर नजर आए थे. ग्रामीणों ने अपने मनपसंद प्रत्याशी को बिना किसी भय के वोट किया था. बिकरू गांव की मधू देवी अर्थशास्त्र से एमए हैं. मधू को पूरा भरोसा है कि पंचवर्षीय योजना में गांव का विकास होगा. जिसमें ग्रामीण भी पूरा सहयोग करेंगे.

प्रधान मधू का कहना है कि गांव में शिक्षा, स्वास्थ्य और स्वच्छता पर जोर दिया जाएगा. गांव में अपराधी प्रवृति के लोगों को सिर नहीं उठाने दिया जाएगा. इसके लिए जरूरत पड़ी तो पुलिस और प्रशासन की मदद लूंगी. विकास कार्यों में ग्रामीणों की राय और उनसे सहयोग की अपेक्षा रहेगी. कहा कि गांव की पहचान विकास दुबे के नाम से बनकर रह गयी है. इस छवि से गांव को उबारने की जिम्मेदारी मेरी है.

1995 में विकास दुबे पहली बार ग्राम प्रधान चुना गया था. साल 2000 में अनुसूचित जाति की सीट पर विकास दुबे ने गांव की गायत्री देवी को प्रत्याशी बनाया था. गायत्री चुनाव जीत कर प्रधान बन गयी. 2005 में जनरल सीट होने पर विकास के छोटे भाई दीपक की पत्नी अंजली को निर्विरोध प्रधान चुना गया. 2010 में बैकवर्ड सीट होने पर विकास ने रजनीश कुशवाहा को मैदान में उतारा और उन्हें जीत मिली. 2015 में अंजली दुबे दोबारा निर्विरोध ग्राम प्रधान चुनी गयी थीं. प्रधान कोई भी रहा हो लेकिन उसकी चाभी विकास के पास ही रहती.

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