मध्य प्रदेश में होने वाले विधानसभा उपचुनाव को लेकर राज्य में सियासी हलचल तेज है. ये चुनाव एक दिलचस्प मोड़ पर आकर आ खड़ा हुआ है. 28 सीटों पर उपचुनाव होने हैं. जिसके लिए हर पार्टी जोर आजमाइश में लगी हैं. इस बीच सीएम शिवराज की जनसभा में साथ नजर आने वाले सिंधिया अब मंच पर दिखाई नहीं देते.

भारतीय जनता पार्टी की ओर से जारी की गयी स्टार प्रचारकों की सूची में भी सिंधिया को 10वां स्थान दिया गया है. ग्वालियर चंबल संभाग की 16 सीटों के प्रचार में भी कमान मुख्यमंत्री शिवराज ने संभाल ली है. भाजपा के डिजिटल रथों से सिंधिया गायब हैं. पार्टी के एक नेता का सिंधिया को लेकर कहना है कि वह भाजपा में आ गए हैं, लेकिन अभी भाजपाई होने में वक्त लगेगा.

माना जा रहा है कि बीजेपी ऐसा एक रणनीति के तहत भी कर रही है. शिवराज बनाम पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ का चुनावी रंग देने की कोशिश है. मध्यप्रदेश में भिंड के सुरेन्द्र का कहना है कि ज्योतिरादित्य के भाजपा में जाने के बाद कांग्रेस ने उन्हें क्षेत्र में गद्दार के तौर पर प्रचारित करना शुरू किया. उनके परिवार को अंग्रेजों के जूते उठाना, झांसी की रानी को धोखा देना जैसी बातों को हवा दी जा रही है.

यही नहीं कहा जा रहा रहा है कि सिंधिया ने जमीन घोटाले में घिरने से बचने के लिए पार्टी को धोखा दिया है. ग्वालियर चंबल संभाग की 16 सीटों पर सिंधिया के साथ कांग्रेस से गए लोग ही चुनावी मैदान में हैं.

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि इस बात को क्षेत्र की जनता भी समझ रही है. कांग्रेस में जाने से 16 विधायकों को 2018 में जिताने वाले सभी मतदाता तो भाजपाई नहीं हो गए. वहीं सिंधिया के मुखर होने पर पार्टी का एक पक्ष दबा रह सकता है. इसलिए पार्टी ने सबको साधने के लिए अपनी रणनीति बदली है.

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