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भारत के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की आज जयंती है. इस दिन को किसान दिवस के तौर पर भी मनाया जाता है. चौधरी चरण सिंह का पूरा जीवन किसानों के लिए समर्पित था. उन्होंने किसानों की भलाई के लिए हमेशा संघर्ष किया, चौधरी जी किसानों के नेता कहे जाते थे.

यूं तो चौधरी जी के जीवन के बहुत से किस्से मशहूर हैं मगर आज हम आपको बताने जा रहे हैं एक ऐसा किस्सा जिसमें उन्होंने पूरे थाने को ही सस्पेंड कर दिया था. ये बात है सन् 1979 की और किस्सा है इटावा जिले का.

इटावा जिले के ऊसराहार थाने में मैला कुर्ता और धोती पहने एक शख्स पहुंचा और अपने बैल चोरी की रिपोर्ट दर्ज कराने की बात कही. दरोगा ने पुलिसिया अंदाज में दो चार ऊट पटांग सवाल पूछे और बिना रिपोर्ट लिखे उन्हें चलता कर दिया. जब वो किसान वहां से जाने लगा तो एक सिपाही पीछे से भागते हुए उनके पास पहुंचा और कहा कि थोड़ा खर्चा पानी कर दो तो रिपोर्ट लिख जाएगी.

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दोनों में मोलभाव होने लगा और 35 रूपये की रिश्वत पर मामला तय हो गया. थाने के मुंशी ने रिपोर्ट लिखने के बाद उस किसान से पूछा कि बाबा हस्ताक्षर करोगे या अंगूठा लगाओगे. उस किसान ने हस्ताक्षर करने के बाद जब अंगूठा लगाने वाला पैड उठाया तो मुंशी सोच में पड़ गया कि जब इन्होंने हस्ताखर कर दिए हैं तो फिर स्याही वाला पैड क्यों उठा रहे हैं.

उस किसान ने अपने मैले कुर्ते की जेब से एक मुहर निकाली और उस रिपोर्ट पर ठोंक दी. उस मुहर पर लिखा प्रधानमंत्री भारत सरकार. मुहर देख मुंशी की सिट्टी पिट्टी गुम हो गई और पूरे थाने में हड़कंप मच गया. इसके बाद पता चला कि मैला कुर्ता पहने जो किसान रिपोर्ट लिखाने आए थे वो कोई और नहीं बल्कि देश के प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह थे.

वो थाने का औचक निरीक्षण करने आए थे और उन्होंने अपने लाव लश्कर को थाने से काफी दूरी पर रोक दिया था. उसके बाद उन्होंने अपने कुर्ते पर थोड़ी मिट्टी डाली और किसान का भेष बदलकर थाने पहुंच गए. चौधरी चरण सिंह ने पूरे थाने को सस्पेंड कर दिया था.

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