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उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने डाक्टर कफील खान की एनएसए के तहत नजरबंदी को खारिज करने पर सुप्रीमकोर्ट में चुनौती दी है. इस मामले में डाक्टर कफील खान को एनएसए के तहत भड़काउ भाषण देने के आरोप में नजरबंद किया गया था. लेकिन इस बीच हाईकोर्ट की ओर से राहत मिलने के बाद कफील खान को रिहा कर दिया गया था.

गौरतलब है कि कफील खान गोरखुपर मेडिकल कालेज में डाक्टर थे. योगी सरकार ने सुप्रीमकोर्ट में डाक्टर कफील के ऊपर लगे आरोपों को बेहद गंभीर बताया है. सुप्रीमकोर्ट में युपी सरकार ने कहा है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने डाक्टर कफील खान पर लगे आरोपों की पूरी समीक्षा नहीं की.

नागरिकता संसोधन कानून और एनआरसी को लेकर भड़काउ भाषण देने के आरोप में ड़ाक्टर कफील खान को गिरफ्तार किया गया था. 1 सिंतबर 2020 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कफील खान पर लगाए गए एनएसए को गलत बताते हुए हटाते हुए तुरंत रिहाई के आदेश दिए थे.

इलाहाबाद न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति गोविंद माथुर और न्यायमूर्ति सौमित्र दयाल सिंह की पीठ ने कफील को तत्काल रिहा करने के आदेश दिए थे. बता दें कि डाक्टर कफील खान की रासुका अवधि को गत 6 मई को तीन माह के लिए और बढ़ा दी गई थी.

गत 16 अगस्त को अलीगढ़ जिला प्रशासन की सिफारिश पर राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने बीते 15 अगस्त को उनकी रासुका की अवधि तीन माह के लिए और बढ़ा दी थी.

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