यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी कर रहे हर छात्र का सपना होता है कि वो आईएएस या आईपीएस बने मगर इसकी परीक्षा इतनी कठिन होती है कि बहुत कम छात्र ही इसमें सफलता प्राप्त कर पाते हैं. देश में तमाम ऐसे आईएएस या आईपीएस अधिकारी हैं जिन्होंने गरीबी और बेहद कम संसाधन होने के बावजूद इस कठिन परीक्षा को पास किया और एक बेहतरीन मुकाम हासिल किया.

आज हम आपको बताने जा रहे हैं ऐसी ही एक प्रेरणादायक कहानी जिसमें एक गरीब परिवार के बेटे ने आईएएस बन मिसाल पेश कर दी. हम बात कर रहे हैं एक ऐसे आईएएस की जिनके पिता मजदूरी करते थे और उन्होंने ठेले पर चाय तक बेची लेकिन अपने सपने को पूरा करके ही दम लिया, जी हां हम बात कर रहे हैं आईएएस हिमांशू गुप्ता की. ये कहानी उन छात्रों को जरूर प्रेदणा देगी जो संसाधनों का रोना रोकर अपनी पढ़ाई को बीच में ही छोड़ देते हैं.

 

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ह्यूमंस ऑफ बॉम्बे फेसबुक पेज पर हिमांशू ने अपनी कहानी बताते हुए कहा कि मेरा स्कूल घर से 35 किलोमीटर दूर था, आना-जाना मिलाकर 70 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता था. स्कूल जाने से पहले और आने के बाद मैं अपने पिता के साथ काम करता था. जब मेरे साथ पढ़ने वाले मेरे चाय के ठेले के पास से गुजरते थे तो मैं छुप जाता था मगर एक दिन एक लड़के ने मुझे चाय बेचते देख लिया और फिर सबने मेरा मजाक उड़ाना शुरू कर दिया.

वो लोग मुझे चायवाला कहकर बुलाते थे, इन सबके बावजूद मैने अपना पूरा ध्यान अपनी पढ़ाई पर लगाया और आगे बढ़ता रहा. हालांकि इस दौरान मैने चाय की दुकान पर काम करना बंद नहीं किया, हम लोग रोजाना 400 रूपये कमा लेते थे जिससे मेरा घर चलता था. हिमांशू कहते हैं कि मेरे सपने बड़े थे, मैं हमेशा अपने परिवार को एक बेहतर जीवन देने के बारे में सोचा करता था, पिताजी कहते थे सपने सच करने हैं तो पढ़ाई करो.

 

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मुझे अंग्रेजी नहीं आती थी इसलिए मैने अंग्रेजी फिल्मों की डीवीडी खरीदकर उन्हें देखरने लगा ताकि मैं अंग्रेजी सीख सकूं. मुझे एक प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय में प्रवेश मिल गया लेकिन मैं डर गया था. मैं उन छात्रों के बीच अपरिचित था, एक चीज जो मुझे सबसे अलग करती थी वो थी सीखने की चाह.

मैं निजी ट्यूशन और ब्लॉग लिखकर पैसे कमाता और अपनी फीस खुद चुकाता था, मैं अपने परिवार पर बोझ नहीं बनना चाहता था. मैंने अपने विश्वविद्यालय से टॉप किया तो मुझे विदेश में पीएचडी करने के लिए स्कॉलरशिप मिली लेकिन मैने उसे ठुकरा दिया क्योंकि मैं अपना परिवार नहीं छोड़ना चाहता था.

 

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फिर मैने सिविल सेवा परीक्षा में भाग लिया. पहले कई प्रयासों में मैं फेल हो गया लेकिन मैने हिम्मत नहीं हारी और कई प्रयास के बाद सफलता हासिल कर ली. पहले मैं आईपीएस बना लेकिन मेरा सपना आईएएस बनने का था, इसके बाद मैने आईएएस की परीक्षा पास की. जब मैं आईएएस बना तो मेरी मां ने कहा कि आज तुमने हमारा नाम रौशन कर दिया. हिमांशू कहते हैं कि अपने माता-पिता को अपनी सैलरी देना मेरे जीवन का सबसे यादगार पल रहा है.

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