हाथरस मामले में शनिवार को पीड़िता के परिवार तक मीडिया पहुंच पायी. परिवार का कहना है कि जब तक उन्हें उनके सवालों के जवाब नहीं मिल जाते, तब तक वो यूपी पुलिस द्वारा गठित एसआईटी पर कैसे भरोसा करें. उनका सवाल है कि पुलिस ने आखिर उनकी बेटी के शव का अंतिम संस्कार बिना उनकी मर्जी के कैसे कर दिया?
उन्होंने कहा कि एसआईटी के गांव से जाने के बाद डीएमहमारे घर आए. उन्होंने उल्टी-सीधी बातें की, कि तुम्हारी बेटी अगर कोरोना से मर जाती तो क्या तुम्हे मुआवजा मिलता? हम उन्ही से जानना चाहते हैं कि उनकी इस बात का क्या मतलब है.
पीड़िता के भाई का कहना है कि डीएम की दलील है कि तुम्हारी बेटी का शव देखने लायक हालत में नहीं बचा था. हमने उनसे कहा कि हम उन्हें हर हालत में देखने के लिए तैयार थे. पोस्टमार्टम के बाद भी हम उन्हें देखने को तैयार थे. हमने उनसे सुबह तक का वक्त माँगा था.
आरोप लगाते हुए कहा कि बीते दो दिनों में स्थानीय प्रशासन के लोगों ने उनके पिता से कई जगह कागजों पर हस्ताक्षकर करवाए, जिनके बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं दी गयी.
गुरुवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी पीड़ित परिवार से मिलने के लिए हाथरस पहुंचे थे लेकिन उन्हें गांव तक पहुंचने नहीं दिया गया था. शुक्रवार को तृणमूल कांग्रेस के कुछ सांसदों ने भी पीड़िता के परिवार तक पहुंचने की कोशिश की थी. इस बीच बीजेपी नेता उमा भारती ने यूपी सरकार से अपील की कि राजनीतिक दलों और मीडियाकर्मियों को परिवार से मिलने दिया जाए, जिसके बाद शनिवार को मीडिया को परिवार वालों से मिलने की इजाजत मिली.