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बिहार विधानसभा चुनाव के बीच उत्तर प्रदेश में तो सियासी तूफान मचा दिया गया है. यूपी में राज्यसभा की 10 सीटें नवंबर के महीने में खाली हो रही है इन चुनावों को लेकर यूपी में अभी से गहमागहमी शुरु हो गई है. प्रदेश में बीजेपी के 9 प्रत्याशी तो जीत दर्ज कर सकते हैं.

इसके बावजूद बीजेपी ने जब उम्मीदवारों की लिस्ट को जारी किया तो उसमें 8 ही नाम देखे गए. किसी ने बीजेपी के इस दांव को नहीं समझा इसी वक्त बीएसपी की ओर से रामजी गौतम ने नामांकन दाखिल किया है. दरअसल 10 में से 9 सीटें बीजेपी अपने खाते में ला सकती है लेकिन सिर्फ 8 ही नाम की लिस्ट जारी करने के दांव ने सबको चौंका दिया है.

कांग्रेस ने इस स्थिति पर निगाह डाली तो उसे खेल कुछ समझ नहीं आया, उधर कांग्रेस का आरोप है कि बीजेपी ने बीएसपी उम्मीदवार को समर्थन देने के लिए अपनी खाली सीट छोड़ी है. दरअसल इस चुनाव में कहीं से भी बीएसपी के पक्ष में समीकरण नहीं दिखाई दे रहे हैं लेकिन रामजी गौतम का नामांकन ये सवाल उठाता है कि क्या मायावती बीजेपी के करीब जा रही है.

इस वाक्ये के बाद 10 वीं सीट के लिए बीजेपी और बीएसपी के बीच गठजोड़ को लेकर राजनीतिक गलियारों में कयासबाजी तेज हो गई है. इस लिस्ट में केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी, अरुण सिंह, पूर्व डीजीपी बृजलाल, नीरज शेखर, हरिद्वार दुबे, गीता शाक्य, बीएल शर्मा और सीमा द्विवेदी को उम्मीदवार बनाया गया है.

हालांकि राजनीतिक गलियारों में चर्चा थी कि बीजेपी अपने 9 उम्मीदवारों को उतारेगी और 10 वीं सीट के लिए नरेश अग्रवाल. दयाशंकर सिंह और संजय सिंह समेत कई नामों की चर्चा थी लेकिन लिस्ट में किसी का नाम नहीं था.

उधर सोमवार को बीएसपी के 14 विधायकों के साथ बीएसपी से रामजी गौतम ने नामांकन पत्र दाखिल किया. उत्तर प्रदेश में राज्यसभा चुनाव के लिए विधायकों की संख्या के आधार पर जीत की स्थितियां बन रही हैं, इसके मुताबिक राज्य में होने वाले चुनाव में बीजेपी के 8 और सपा का 1 राज्यसभा उम्मीदवार जीत सकता है.

बीजेपी का एक और सदस्य इस स्थिति में जीत सकेगा जब विपक्ष साझा प्रत्याशी ना खड़ा करे. अकेले दम पर ना तो कांग्रेस और ना ही बीएसपी अपने उम्मीदवार को जिता सकती है.

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