बिहार विधानसभा चुनाव का बिगुल बजने के बाद वहां का सियासी पारा उफान पर है. दल बदल के बाद अब टिकट बंटवारे को लेकर मारामारी मची हुई है. जिनको टिकट नहीं मिल पा रहा है वो नाराजगी जाहिर कर रहे हैं. कोई पार्टी के खिलाफ बयानबाजी कर आरोप लगा है तो कोई धरने पर ही बैठ गया है.

महागठबंधन छोड़कर एनडीए गठबंधन में शामिल होने वाले हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा प्रमुख जीतन राम मांझी ने सात सीटों पर उम्मीदवारों के नाम का एलान किया तो उनकी ही पार्टी के कार्यकर्ताओं में असंतोष बढ़ गया और वो अपने ही नेता के फैसले के खिलाफ धरने पर बैठ गए. कार्यकर्ताओं ने मांझी की तुलना धृतराष्ट्र से कर डाली.

मांझी ने जिन सात लोगों को टिकट दिया है वो उनमें से अधिकतर उनके परिवार के लोग हैं. कार्यकर्ताओं की मांग है कि गया जिले में कम से कम एक सीट कार्यकर्ताओं को दी जाए.

उन्होंने कहा कि हमने पार्टी को मतबूत करने के लिए दिनरात एक कर दिए उसके बावजूद एक भी सीट कार्यकर्ताओं को नहीं दी गई तबकि मांझी और उनके बेटे ने मंच से एक सीट देने का वादा भी किया था.

इस मामले पर मांझी ने कहा कि उनकी मांग वाजिब है. गठबंधन के कारण बोधगया विधानसभा क्षेत्र हमें नहीं मिला इस वजह से दिक्कत आई है. बता दें कि हम प्रमुख मांझी की ओर से जिन सीटों पर प्रत्याशी घोषित किए गए हैं उनमें इमामगंज से जीतनराम मांझी खुद चुनाव मैदान में होंगे.

इसके अलावा बाराचट्टी से उनकी समधन ज्योति मांझी, मखदूमपुर से दामाद देवेंद्र मांझी, कुटुम्बा से श्रवण भुईयां, कस्बा से राजेंद्र यादव, सिकंदरा से प्रफुल्ल मांझी और टेकारी से अनिल कुमार को टिकट दिया गया है.

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