गुजरात से बीजेपी सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री मनसुख वासवा ने कहा है कि अगर वो पार्टी से इस्तीफा दे देते तो उन्हें मुफ्त में इलाज की सुविधा नहीं मिल पाती. दरअसल वसावा ने मंगलवार को बीजेपी से इस्तीफा दे दिया था लेकिन पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के समझाने पर उन्होंने अपना इस्तीफा वापस ले लिया है.
गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी से मुलाकात के बाद वसावा ने रिपोर्टस से कहा कि वरिष्ठ नेताओं ने मुझे समझाया कि मुझे अपनी पीठ और गर्दन की समस्या के लिए मुफ्त इलाज तभी मिलेगा जब सांसद बना रहूंगा. अगर मैंने इस्तीफा दे दिया तो ऐसा संभव नहीं हो पाएगा.
पार्टी नेताओं ने मुझे आराम करने की सलाह दी और कहा कि ऐसा सिस्टम बना दिया जाएगा जिससे स्थानीय नेता मेरी तरफ से कामकाज देखते रहेंगे. उन्होंने कहा कि मेरे पार्टी से इस्तीफा देने के पीछे एकमात्र कारण स्वास्थ्य की समस्या थी.
अब पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की तरफ से आश्वासन मिलने के बाद मैं इस्तीफा वापस ले रहा हूं. मैं एक सांसद के तौर पर लोगों की सेवा करता रहूंगा.
वसावा ने ये भी दावा किया कि ऐसी भ्रामक खबरें फैलाई जा रही है कि पार्टी से नाराज हूं. मुख्य रुप से नर्मदा जिले में इको सेंसिटिव जोन को लेकर लेकिन सच ये है कि राज्य और केंद्र की सरकार अपने सभी प्रयास कर रही है मेरा पार्टी के साथ कोई मतभेद नहीं हैं.
आदिवासी नेता वसावा ने कहा कि बीजेपी की सरकार ने आदिवासियों को पूर्व की सरकारों से कहीं ज्यादा पहुंचाया है.