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हंसी प्रहरी की जिंदगी में गुरुवार को उस समय ट्विस्ट आ गया जब उनका भाई आनंद राम अनुराग देर शाम दिल्ली से हरिद्वार पहुंचे. इस दौरान उन्होंने बहन से मुलाकात की और साथ चलने की भी जिद की लेकिन हंसी ने इस दौरान भाई की एक बात ना सुनी और भाई के प्रस्ताव को ठुकरा दिया.

गौरतलब है कि अल्मोड़ा में रह रहे परिजनों से जानकारी लेकर हंसी के भाई हरिद्वार पहुंचे. उनका कहना था कि उन्हें इस बात का अंदाजा भी नहीं था कि हंसी इस हालत में यहां पर रह रही है. इससे पहले राज्य मंत्री रेखा आर्य हंसी से मिलने पहुंची और उनका हालचाल जाना, उन्होंने इस दौरान हंसी से मिलकर उनके सामने सरकारी नौकरी और आवास का भी प्रस्ताव रखा.

हंसी वो महिला है जो अपने छात्र जीवन में कुशल प्रवक्ता के साथ ही कुमाऊं विश्वविद्यालय की छात्र संघ में सक्रिय राजनीति करते हुए छात्रसंघ उपाध्यक्ष भी रही. लेकिन इसे नियति का अफसाना ही कहेंगे कि राजनीतिशास्त्र और अंग्रेजी जैसे विषयों में एमए डिग्रीधारी महिला आज सड़को पर भीख मांगने को मजबूर है और भीख मांगकर अपना और अपने बच्चों का गुजारा करने को मजबूर है.

लेकिन हौंसलों में अभी भी वो ही मजबूती है. वो अपने बच्चों को पढ़ा रही है और उनको अफसर बनाने के सपने भी देख रही है. अल्मोडा जिले के हवालबाग ब्लाक स्थित ग्राम रणखिला गांव की रहने वाली हंसी प्रहरी पांच भाई-बहनों में सबसे छोटी है और उसकी प्रारंभिक शिक्षा गांव में ही हुई. इसके बाद उसने कुमाऊं विश्वविद्यालय के अल्मोड़ा परिसर में प्रवेश ले लिया. साल 2000 में वो छात्रसंघ उपाध्यक्ष चुनी गई.

हरिद्वार में हंसी की ओर मीडिया का ध्यान रविवार को गया जब वो सड़क किनारे अपने बेटे को फर्राटेदार अंग्रेजी में पढ़ा रही थी इस दौरान वहां से गुजरने वाले सभी लोग हतप्रभ थे. हंसी ने बताया कि ससुराल की कलह से परेशान होकर वो साल 2008 में लखनऊ से हरिद्वार से चली आई. शारीरिक रुप से कमजोर होने के साथ वह कहीं पर भी नौकरी नहीं कर सकती थी, तो वो भीख मांगकर ही अपना गुजारा करने लगी. इतना सबकुछ सहने के बाद भी हौसलों में वही उर्जा है जो पहले थी. वह अपने बेटे को पढ़ा रही है वो चाहती है कि उसका बेटा प्रशासनिक अधिकारी बने.

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