कांग्रेस के स्थापना दिवस के दिन राहुल गांधी भले ही मौजूद ना रहे. कांग्रेस पार्टी के मुताबिक वो कुछ दिनों की व्यक्तिगत यात्रा पर है. स्थापना दिवस के असवर पर कांग्रेस ने सेल्फी विद तिरंगा अभियान भी चलाया. जिसका मकसद ये है कि प्रर्दशित करना है कि किसान आंदोलन को दबाकर बीजेपी लोकतंत्र और संविधान के साथ खिलवाड़ कर रही है.

कांग्रेस लगातार सरकार अध्यादेशों के जरिए प्रचलित मतों को दबाने का आरोप लगाती रही है. लेकिन सबसे बड़ी बात ये है कि इस अभियान का आयडिया राहुल गांधी की तरफ से ही आया था. ऐसे में इस अवसर पर राहुल की गैरमौजूदगी पार्टी नेताओं के लिए निराशाजनक थी.

कांग्रेस के पूर्व प्रवक्ता संजय झा ने कहा कि राहुल चाहते तो इस खराब पब्लिसिटी से बच सकते थे. ऐसा पहली बार नहीं हुआ है. सार्वजनिक जीवन में कई बार देखने में आता है कि धारणा का महत्व वास्तविकता से ज्यादा होता है. लेकिन ऐसा तीसरी बार हुआ है. जब राहुल गांधी छुट्टी पर गए हैं. इस वक्त किसान आंदोलन भी चल रहा है और कांग्रेस का स्थापना दिवस भी था.

नाम ना छापने की शर्त पर एक पार्टी नेता ने कहा कि राहुल गांधी अपनी यात्रा एक दिन के लिए टाल सकते थे लेकिन ऐसा नहीं हुआ. लेकिन राहुल की गैरमौजूदगी में एक और बात हुई जिसने सबका ध्यान अपनी तरफ खींचा. प्रियंका गांधी वाड्रा तकरीबन सभी नेताओं से मिल रही थी. चाहे वरिष्ठ नेता हो या कार्यकर्ता. उन्होंने राहुल की गैरमौजूदगी के सवाल को ज्यादा तवज्जो नहीं दी और सरकार को पूरी मुखरता के साथ निशाने पर ले लिया.

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