आपने अक्सर शादी, विवाह या किसी बच्चे के जन्म के मौके पर किन्नरों को आते हुए देखा होगा. किन्नर जो कि किसी भी शुभ काम में पहुंच जाते हैं. इस दौरान वो मोटी रकम की डिमांड करते हैं. डांस, गाने और मुंहमांगी डिमांड को लेकर वो चले जाते हैं.

लेकिन आपने शायद ही किसी त्यौहार को मनाते या किसी त्यौहार में हिस्सा लेते हुए देखा हो. हमारे आस पास किन्नर होते हैं लेकिन उनके बारे में और उनकी रीति रिवाज के बारे में शायद ही को जानता होगा. यहां तक कि उनके अंतिम संस्कार के बारे में भी कोई नहीं जानता होगा.

कह जाता है कि किन्नरों की दुआ और बद्दुआ दोनों में ही ताकत होती है. कभी भी उनकी दुआ और बद्दुआ जाया नहीं जाती है अगर उनकी रीति रिवाज की बात करें तो उनके रिवाज बहुत ही अलग होते हैं. इसलिए आज हम इस खबर में किन्नरों के अंतिम संस्कार के बारे में बताएंगे.

जानें रात में क्यों होता है अंतिम संस्कारः

भारत में ऐसा माना जाता है कि शायद किन्नरों के पास कुछ आध्यात्मिक शक्ति होती है जिससे उनको अपनी मौत का आभास हो जाता है यहां तक के किन्नर अपनी मौत से कुछ दिन पहले खाना पीना बंद कर देते हैं. इतना ही नहीं इस दौरान वो कहीं जाना भी नहीं पसंद करते हैं. वो अपना अंतिम समय सिर्फ पानी पीकर ही बिताते हैं.

किन्नर मरते हुए अपने लिए और बाकी किन्नरों के लिए यही दुआ करते है कि अगले जन्म में वो किन्नर ना पैदा हो जो उन्होंने इस जन्म में सहा वो आने वाले जन्म में ना सहे. उनके आसपास के जितने लोग होते हैं वो मरने वाले किन्नरों से दुआ लेने आते हैं किन्नरों में ऐसा माना जाता है कि मरने के समय किन्नर की दुआ काफी असरदार होती है, वो हमेशा ही ये एहतियात बरतते हैं कि मरने की खबर उनके अलावा किसी और को ना हो.

आपको जानकर बड़ी हैरानी होगी कि अंतिम संस्कार करने से पहले मरने वाले किन्नर को खूब गालियां दी जाती हैं इतना ही नहीं इस दौरान उन्हें जूतों-चप्पलों से मारा जाता है. ये इसलिए किया जाता है ताकि मरने वाले ने अगर कोई अपराध किया हो तो उसका प्रायश्चित यहीं पर हो जाए. और अगले जन्म में वो पूर्ण इंसान बनकर पैदा हो.

इनके अंतिम संस्कार की बात की जाए तो हमसे बहुत अलग है. गौरतलब है कि अंतिम संस्कार के लिए चार कंधों पर नहीं बल्कि खड़ा करके ले जाया जाता है. किन्नरों का ऐसा मानना है कि अगर कोई बाहरी व्यक्ति मरने वाले को देख ले तो मरने वाला फिर अगले जन्म में किन्नर बनकर ही पैदा कर होता हैय इसलिए किन्नर का शव आधी रात के पास समय होता है.

ताकि कोई ये सब ना देखने पाएं. किन्नर की मौत के एक हफ्ते तक किन्नर के साथी पूरे एक सप्ताह तक व्रत रखते हैं. और अपने साथी के लिए दुआ मांगते हैं. ताकि अगले जन्म में वो साधारण इंसान की तरह पैदा हो. किन्नर के मरने पर मातम नहीं मनाया जाता है बल्कि वो खुशी मनाते हैं. इनके यहां ऐसी मान्यता हैं कि किन्नर की मृत्यु होने से उसे इस नर्क के समान जीवन से मुक्ति मिली है.

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