बिहार विधानसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद अब इसका विश्लेषण शुरू हो चुका है. एनडीए को 125 सीटें मिलने के बाद अब नीतीश कुमार लगातार चौथी बार मुख्यमंत्री पद पर बैठेंगे. वहीं तेजस्वी का गद्दी पर बैठने का सपना इस बार अधूरा रह गया. महागठबंधन में कांग्रेस का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा पर वाम दलों के प्रदर्शन ने चौंकाया है.

नतीजों से उत्साहित माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा है कि वाम दलों को ख़ारिज करना गलत साबित हुआ और अगर वामपंथी पार्टियों को बिहार में चुनाव लड़ने के लिए और सीटें मिलती तो वे इससे ज्यादा सीटें जीतते.

येचुरी ने कहा कि हमारी शुरुआत से ही स्पष्ट सोच थी कि भाजपा को हराना है. बिहार में हमारा स्ट्राइक रेट 80 फीसदी है. अगर हमें और सीटें मिलती तो हम इससे भी ज्यादा सीटें जीतते.

महागठबंधन में शामिल भाकपा माले ने 19 सीटों पर. भाकपा ने 6 सीटों पर और माकपा ने चार सीटों पर चुनाव लड़ा था. तीनों दलों ने क्रमशः 11, 3 और 2 सीटों पर जीत दर्ज की है.

भाकपा माले के जनरल सेक्रेटरी दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि उन्हें महागठबंधन और लेफ्ट में और मजबूत जीत की उम्मीद थी. यह एक ऐसा चुनाव था जिसमें जनता और युवाओं ने अपने मुद्दे गढ़े. इस चुनाव में युवा आगे आया. यह देखना सुखा है कि लोग शिक्षा, नौकरी और अन्य मूलभूत मुद्दों को आगे बढ़ा रहे हैं.

दीपांकर का एक अन्य बयान में कहना है कि हम पहले गठबंधन बना सकते थे और सीट आवंटन अधिक बेहतर हो सकता था. उदहारण के लिए वाम दलों और कांग्रेस को कम से कम 50-50 सीटें मिलनी चाहिए थी. यह उचित बंटवारा होता. सीट आवंटन और सब कुछ तय करने में लंबा समय लगा.

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