बिहार विधानसभा चुनाव के साथ ही देश के अलग अलग राज्यों में कई लोकसभा और विधानसभा की रिक्त चल रही सीटों पर उपचुनाव भी होना है. बिहार चुनाव में जातिगत फैक्टर बड़ा हावी रहता है. वर्तमान में सभी दल जातिगत समीकरणों को साधने में जुट गए हैं.

बिहार की वाल्मीकिनगर लोकसभा सीट पर भी उपचुनाव होना है. 2019 में इस सीट पर जदयू के वैद्यनाथ महतो ने महागठबंधन की ओर से कांग्रेस उम्मीदवार को पटखनी दी थी, मगर सांसद वैद्यनाथ महतो के अचानक निधन से ये सीट रिक्त हो गई है. इस सीट को जीतने के लिए एनडीए और महागठबंधन दोनों अपनी-अपनी तैयारियों में जुटे हुए हैं.

महागठबंधन की ओर से इस सीट पर बिहार महिला कांग्रेस की पूर्व उपाध्यक्ष मंजूबाला पाठक प्रबल दावेदार हैं. मंजूबाला काफी समय से इस क्षेत्र में सक्रिय हैं. कोरोना संकट और लॉकडाउन के दौरान उन्होंने राशन, मास्क, सैनिटाइजर आदि जरूरी वस्तुओं का वितरण कर लोगों की मदद करने का काम किया.

जातिगत समीकरणों की बात की जाए तो मंजूबाला पाठक खुद ब्राह्मण जाति से आती हैं, महागठबंधन को यादवों-मुस्लिमों का खासा समर्थन मिलता है. इसके अलावा वो एक महिला हैं जिसका फायदा उन्हें मिल सकता है.

वहीं अगर बात एनडीए की करें तो कई नाम आते है. जिनमे सबसे प्रमुख नाम सुनील कुमार और प्रेम चौधरी के हैं. इसके अलावा वाल्मीकिनगर विधानसभा के निर्दल प्रत्याशी रिंकू सिंह को भी एनडीए टिकट दे सकता है.

बात अगर जातिगत समीकरण की करें तो फारवर्ड वोट्स के साथ कुर्मी, पासवान और थारू समुदाय के वोट्स एनडीए के खाते में जा सकते हैं. यहां निर्दलीय भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं. बसपा भी यहां अच्छे वोट पाती रही है. ये भी देखना दिलचस्प होगा कि बसपा अपने किसी उम्मीदवार को उतारती है या नही.

बता दें कि राजनीतिक पार्टियां चाहे जैसे भी समीकरण बना लें मगर वोटर्स जो मन बना लेता है होता वही है. अभी पूरे बिहार में उथल-पुथल का माहौल है और इस समय कुछ भी कहना जल्दबाज़ी होगी. पिछले कुछ सालों के उपचुनावों को देखे तो महागठबंधन का ही पलड़ा भारी दिखता है.

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