उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले सभी राजनैतिक दल अभी से ही जोड़तोड़ मे जुट गए हैं. यूपी की सियासत में तब हलचल और बढ़ गई जब बसपा से निलंबित हुए विधायकों में से 6 विधायक सपा मुखिया अखिलेश यादव से मिलने पहुंच गए. बसपा विधायकों की अखिलेश से मुलाकात पर मायावती बेहद खफा हो गई हैं और उन्होंने सपा पर दलित विरोधी होने का आरोप लगा दिया है.

मायावती ने कहा कि घृणित जोड़तोड़, द्वेष व जातिवाद आदि की संकीर्ण राजनीति में माहिर समाजवादी पार्टी द्वारा मीडिया के सहारे यह प्रचारित करना कि बीएसपी के कुछ विधायक टूट कर सपा में जा रहे हैं घोर छलावा. जबकि उन्हें काफी पहले ही सपा व एक उद्योगपति से मिलीभगत के कारण राज्यसभा के चुनाव में एक दलित के बेटे को हराने के आराप में बीएसपी से निलम्बित किया जा चुका है.

उन्होंने कहा कि सपा अगर इन निलम्बित विधायकों के प्रति थोड़ी भी ईमानदार होती तो अब तक इन्हें अधर में नहीं रखती, क्योंकि इनको यह मालूम है कि बीएसपी के यदि इन विधायकों को लिया तो सपा में बगावत व फूट पड़ेगी, जो बीएसपी में आने को आतुर बैठे हैं.

बसपा सुप्रीमो ने कहा कि जगजाहिर तौर पर सपा का चाल, चरित्र व चेहरा हमेशा ही दलित-विरोधी रहा है, जिसमें थोड़ा भी सुधार के लिए वह कतई तैयार नहीं. इसी कारण सपा सरकार में बीएसपी सरकार के जनहित के कामों को बन्द किया व खासकर भदोई को नया संत रविदास नगर जिला बनाने को भी बदल डाला, जो अति-निन्दनीय.

मायावती ने कहा कि वैसे बीएसपी के निलम्बित विधायकों से मिलने आदि का मीडिया में प्रचारित करने के लिए कल किया गया सपा का यह नया नाटक यूपी में पंचायत चुनाव के बाद अध्यक्ष व ब्लाक प्रमुख के चुनाव के लिए की गई पैंतरेबाजी ज्यादा लगती है. यूपी में बीएसपी जन आकांक्षाओं की पार्टी बनकर उभरी है जो जारी रहेगा.

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