उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले के बिकरू गांव निवासी गैगस्टर विकास दुबे के एनकाउंटर के तीन महीने से अधिक बीत जाने के बाद भी अब तक इस मामले में पुलिस के अलावा कोई गवाह सामने नहीं आया है. सुप्रीमकोर्ट द्वारा गठित जस्टिस चौहान आयोग को पुलिस की थ्यौरी के खिलाफ कोई गवाह नहीं मिला.
चौहान आयोग के सदस्यों का कहना है कि अभी तक किसी भी प्रत्यक्षदर्शी ने अपनी गवाही में पुलिस के बयान का खंडन नहीं किया. आयोग ने गवाही के लिए काफी प्रचार प्रसार किया मगर उन्हें कोई सफलता नहीं मिली.
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक अबतक विकास दुबे का कोई भी रिश्तेदार आयोग के सामने अपना बयान दर्ज करवाने नहीं पहुंचा है. इस मामले में अब तक जिन लोगों ने बयान दर्ज करवाए हैं उनमें अधिकतर पुलिस प्रत्याक्षदर्शी हैं. बता दें कि 2 जुलाई को बिकरू गांव में हुई मुठभेड़ में 8 पुलिकर्मी शहीद हो गए थे.
इसके बाद 10 जुलाई को पुलिस ने विकास दुबे को मुठभेड़ में ढेर कर दिया. पुलिस ने एनकाउंटर की जो कहानी बताई उसपर सवाल उठने के बाद मामला सुप्रीमकोर्ट तक पहुंच गया.
अदालत ने 22 जुलाई को पूर्व जस्टिस बीएस चौहान, इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व जस्टिस एसके अग्रवाल और पूर्व डीजीपी केएल का एक आयोग गठित कर दो माह के भीतर रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया. हालांकि बाद में इस आयोग का कार्यकाल एक माह बढ़ा दिया गया.