पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस की बढ़ती कीमतों के बीच प्याज के बढ़े दामों ने मुसीबत पैदा करदी है. लोगों के घर का बजट बिगड़ गया है. खुदरा बाजार में प्याज की कीमत पचास रूपये किलो तक पहुंच गयी है. सरकार उम्मीद लगाए है कि मार्च में बाजार में प्याज की आवक बढ़ जाएगी, इससे कीमत कम हो जाएगी.

केंद्र सरकार बफर स्टॉक से राज्यों को प्याज जारी कर सकती है. प्याज की कीमतों में हुई वृद्धि की वजह महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में बेमौसम बरसात मानी जा रही है. इन दिनों प्रदेशों में बेमौसम बारिश और ओले पड़ने की वजह से प्याज की फसल ख़राब हुई है. जिसके चलते एशिया की सबसे बड़ी मंडी लासलगांव में प्याज की कीमत 4200 रूपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गयी.

उपभोक्ता मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक भी राजधानी दिल्ली में बीस दिन के अंदर प्याज की कीमत 10 से 15 रूपये तक बढ़ी है. आंकड़ों के अनुसार 19 फरवरी को प्याज की कीमत 50 रूपये प्रति किलो थी, जबकि 30 जनवरी को प्याज के दाम 39 रूपये प्रति किलो थे. इससे पहले बाजार में प्याज की कीमत औसतन 20 से 25 रूपये प्रति किलो तक थी.

सरकार के मार्च में प्याज की आवक बढ़ने से कीमत कम होने की उम्मीद है, लेकिन जानकारों का कहना है कि अभी राहत की उम्मीद कम है. उनका मानना है कि प्या के दाम अभी और बढ़ेंगे. कुछ लोग कीमतों को आवश्यक वस्तु अधिनियम संशोधन से जोड़कर भी पेश कर रहे हैं. सरकार ने पिछले साल आलू, प्याज, दाल, चावल और तिलहन को दायरे से बाहर कर दिया है.

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