लगातार बढ़ रही प्रतिस्पर्धा के इस दौर में सरकारी नौकरी के लिए लोग अपना पूरा जोर लगा रहे हैं. एक बार भी सरकारी नौकरी पाना आसान काम नहीं है, लेकिन इन दो भाइयों ने ये एक बार नहीं बल्कि कई बार कर दिखाया है. बड़े भाई की 11 बार सरकारी नौकरी लगी है तो छोटे भाई का 6 बार चयन हुआ है.

राजस्थान के सीकर जिले के गाँव किरडोली के रहने वाले इन दो भाइयों का सफलता का राज हर कोई जानना चाहता है. 29 वर्षीय राकेश कुमार को 11 बार नौकरी पाने में सफलता मिली. वर्तमान में वह जिले के गांव रसीदपुरा के सरकारी स्कूल में द्वितीय श्रेणी शिक्षक के रूप में कार्यरत हैं. पत्नी मीना जाखड़ भी शिक्षक हैं.

राकेश कुमार ने साल 2010 में पहली बार एसएससी एमटीएस रेलवे में सफलता हासिल की थी. साल 2011 में एसएससी आर्मी में चयन हुआ. इसी वर्ष टेट और सीटेट की परीक्षा में सफलता हासिल की. 2011 में ही एसएससी स्टेनोग्राफर और एक और परीक्षा पास की. 2012 में थर्ड ग्रेड शिक्षक भरी परीक्षा पास की. साल 2013 में फिर थर्ड ग्रेड की परीक्षा में सफलता हासिल की. इसी वर्ष सेकेंड ग्रेड शिक्षक परीक्षा में सफल हुए. साल 2015 में प्रथम श्रेणी व्याख्याता भर्ती पास की. साल 2018 में प्रथम श्रेणी व्याख्याता परीक्षा राजनीति विज्ञान में सफल हुए. इसी वर्ष प्रथम श्रेणी व्याख्याता परीक्षा अंग्रेजी विषय से भी पास की.

छोटे भाई महेंद्र कुमार ने भी 6 सरकारी परीक्षाओं में सफलता हासिल की. साल 2013 में पहली बार एलडीसी परीक्षा पास की. साल 2015 में रेलवे स्टेशन मास्टर बने. अगली साल 2016 में पटवारी की परीक्षा पास की. इसी वर्ष रेलवे में एनटीपीसी की परीक्षा में सफलता मिली. साल 2017 में ग्राम सेवक बने. 2018 में द्वितीय श्रेणी शिक्षक भर्ती में सफलता मिली.

राकेश व महेंद्र परीक्षाओं में अपनी सफलता को लेकर बताते हैं कि भाइयों में पढ़ाई को लेकर शुरुआत से ही रूचि थी. कॉलेज के बाद कई घंटों तक कमरे में कुंडी लगाकर पढ़ाई किया करते थे, ताकि कोई पढ़ाई में खलल न डाल पाए.

राकेश का कहना है कि प्रतियोगी परीक्षाओं में उन्होंने सफलता बिना किसी कोचिंग के हासिल की है. घर पर ही तैयारी की. सफलता के मूलमंत्र पर कहा कि कोई भी टॉपिक हो पूरी तरह क्लीयर करते. फिर उसके नोट्स तैयार करते, जो भी अपटेड होता उसे उन्ही नोट्स में लिख देते थे. दोनों भाइयों ने सोशल मीडिया से भी दूरी बनाकर रखी. अब दोनों भाई आरएएस व आईएएस की तैयारियों में जुटे हैं.

राकेश व महेंद्र के पिता मोतीलाल 8वीं पास हैं और लम्बे समय तक उन्होंने टैम्पो चलाया. वर्तमान में वह खेती कर रहे हैं.

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