केंद्र की मोदी सरकार द्वारा लागू किए गए तीन नए कृषि कानूनों को लेकर किसानों का विरोध बढ़ता ही जा रहा है. किसान इन कानूनों को वापस लेने और एमएसपी पर नया कानून बनाने की मांग को लेकर अड़े हुए हैं और अपनी मांगें मागने जाने के बिना घर वापसी को तैयार नहीं हैं.

दो महीने से इतनी भीषण ठंड के बावजूद किसान दिल्ली से सटी सीमाओं पर बैठे हुए हैं, किसानों और सरकार के बीच 11 दौर की बातचीत के बाद भी अब तक इस मसले का कोई हल नहीं निकल पाया है.

किसानों ने गणतंत्र दिवस के दिन ट्रैक्टर रैली निकालने की भी तैयारी कर ली है. उनकी रैली को पुलिस से अनुमति मिल गई है. पूरे देश और दुनिया की निगाहें किसानों की ट्रैक्टर रैली पर लगी हुई है.

भारतीय किसान यूनियन के नेता और प्रवक्ता राकेश टिकैत से जब पूछा गया कि 26 जनवरी के बाद उनका अगला प्लान क्या होगा तो उन्होंने कहा कि हम यहीं रहेंगे, हम कहीं नहीं जा रहे.

राकेश टिकैत ने कहा कि ये आंदोलन अक्टूबर-नवंबर तक चलेगा, ये ऐसे नहीं खत्म होगा. अगर सरकार बड़ी चीज है तो किसान उनसे भी बड़ी चीज है. दोनों ऐसे ही हैं, हमारे बीच कोई नहीं आएगा. मध्यस्थता की कोई जरूरत नहीं है, न सरकार हट रही और न ही किसान हटेगा.

ट्रैक्टर रैली को लेकर राकेश टिकैत ने कहा कि अगर किसी ने किसान के सम्मान को ठेस पहुंचाई तो ऐसी ही प्रतिक्रिया देखने को मिलेगी. किसानों को अन्नदाता कहते-कहते अब उन्हें अफगानिस्तानी कहा जाने लगा. हम तिरंगा लेकर चलेंगे. हमने अपना सबकुछ दांव पर लगा दिया है. अब किसान अपना हक लिए बिना घर वापस नहीं जाएगा. अब वो जीतकर ही जाएगा.

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