उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से कल यूपी स्पेशल सिक्योरिटी फोर्स के गठन की अधिसूचना जारी कर दी गई. अधिसूचना जारी होते ही सरकार के इस फैसले का विरोध शुरू हो गया है. विपक्षी दली समाजवादी पार्टी ने योगी सरकार के फैसले पर गंभीर सवाल उठा दिए हैं.

समाजवादी पार्टी की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि एसएसएफ नहीं ये धोखा है. सत्ता की ताकत से संवैधानिक अधिकारों के दमन की साज़िश है. यूपी में ठोक दो संस्कृति के तहत अब जिसे चाहे जग चाहे उठा लो. ना वारंट, ना बेल, ना सबूत, ना सुनवाई. जिसपर सीएम की निगाह टेढ़ी हुई, उसकी शामत आई. ये काला कानून मानवाधिकार और संवैधानिक अधिकारों का हनन है.

बता दें कि नवगठित यूपी एसएसएफ के पास बिना वारंट किसी की भी तलाशी, गिरफ्तारी के अधिकार होंगे. बिना सरकार की अनुमति के अदालत भी एसएसएफ अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ संज्ञान नहीं ले सकेगी. इस फोर्स के पास महत्वपूर्ण सरकारी इमारतों, दफ्तरों और औद्योगिक प्रतिष्ठानों की सुरक्षा की जिम्मेदारी होगी.

एडीजी स्तर का अधिकारी इस फोर्स का मुखिया होगा. इसका मुख्यालय लखनऊ में होगा. शुरूआत में यूपी स्पेशल फोर्स की पांच बटालियन गठित होंगी. इसके एडीजी अलग होंगे.

स्पेशल फोर्स को स्पेशल पॉवर दी गई है इसके तहत अगर इस फोर्स को ये विश्वास हो कि कोई व्यक्ति धारा 10 के निर्दिष्ट कोई अपराध कर रहा है या करने का प्रयास कर रहा है, अपराधी के भाग निकलने या उसके साक्ष्य छिपाने की संभावना है तो ये फोर्स उसे बिना वारंट गिरफ्तार कर सकती है. उसके घर की तलाशी ले सकती है.

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