उत्तर प्रदेश के पॉवर सेक्टर इंप्लाईज ट्रस्ट के भविष्य निधि खाते में हुए घोटाले पर प्रदेश में राजनीति एक बार फिर गर्मा गई है. सत्ता पक्ष और विपक्ष एक दूसरे पर इस घोटाले में शामिल होने का आरोप लगा रहे हैं. उत्तर प्रदेश की प्रमुख विपक्षी पार्टी सपा इस घोटाले में बीजेपी की योगी सरकार को जिम्मेदार ठहरा रही है. समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने भाजपा को भागीदार बताते हुए सीएम योगी आदित्यनाथ से इस्तीफा मांगा है.
सपा की ओर से ट्विटर पर कहा गया है कि इस घोटाले में दर्ज एफआईआर के स्पष्ट बिंदुओं से तस्वीर साफ है. कर्मचारियों की कमाई को अपने फाइनेंशियल पार्टनर डीएचएफएल के खाते में ट्रांसफर करने वाली भाजपा सरकार इसमें भागीदार है. मुख्यमंत्री इस्तीफा दें.
अखिलेश यादव ने सरकार को घेरते हुए कहा कि डिफाल्टर कंपनी डीएचएफएल कंपनी से 20 करोड़ रुपये चंदा लेने वाली भाजपा बताए कि ये रिश्ता क्या कहलाता है. बिजली कर्मियों के हक का पैसा डिफाल्टर कंपनी में लगाने के पीछे की मेहरबानी के पीछे का क्या रहस्य है?

इससे पहले योगी सरकार के मंत्री श्रीकांत शर्मा ने सपा सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा था कि सपा सरकार में 21 अप्रैल 2014 को गड़बड़ी की शुरुआत और जब 17 मार्च 2017 को जब दीवान फाइनेंस कार्पोरेशन लिमिटेड में जब रकम का निवेश शुरु हुआ तो उस समय मुख्यमंत्री की कुर्सी पर अखिलेश यादव थे.
अखिलेश को भी इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि जिनके घर शीशे के होते हैं, वे दूसरे के घर पर पत्थर नहीं फेंका करते. कहा कि वे बिना किसी भी सबूत के योगी सरकार पर आरोप लगा रहे हैं जोकि सरासर गलत है.
पीएफ़ घोटाले का ख़ुलासा! दर्ज एफ़आईआर के स्पष्ट बिंदुओं से तस्फीर साफ़ है। कर्मचारियों की कमाई को अपने फ़ाइनेंशियल पार्ट्नर DHFL के खाते में ट्रांसफर करने वाली भाजपा सरकार इसमें भागीदार है। इस्तीफ़ा दें मुख्यमंत्रीl @myogiadityanath pic.twitter.com/0CPm2v1b95
— Samajwadi Party (@samajwadiparty) November 4, 2019