पिता चाहते थे बेटा करे देश की सेवा. ऐसे में जौनपुर के बदलापुर के कुंवर सचिन सिंह ने मल्टीनेशनल कम्पनी का भारीभरकम पैकेज छोड़ पिता का सपना पूरा किया है. सचिन ने यूपी पीसीएस-2019 की परीक्षा में सातवीं रैंक हासिल की. पहले ही प्रयास में सचिन की शानदार सफलता से पूरा परिवार ख़ुशी से झूम उठा.

सचिन ने अपने शिक्षक पिता का सपना पूरा करने के लिए मल्टीनेशनल कम्पनी में 31 लाख रूपये सालाना का पैकेज छोड़कर सिविल सेवा की तैयारी शुरू की थी. सचिन के पिता प्राथमिक विद्यालय सिरकिना में प्रधानाध्यापक हैं.

सचिन ने प्रारंभिक शिक्षा सेंट जेवियर्स स्कूल बदलापुर से की. साल 2010 में दसवीं के बाद वह लखनऊ चले गए. रानी लक्ष्मीबाई स्कूल से 12वीं उत्तीर्ण करने के बाद उनका चयन आईआईटी धनबाद के लिए हो गया. यहां कंप्यूटर साइंस में बीटेक की डिग्री हासिल करने के बाद साल 2017 में सचिन ने गोल्डमैन के बंगलूरु ऑफिस में नौकरी शुरू की. तब उनका सालाना पैकेज 31 लाख रूपये का था. पिता को यह नौकरी पसंद नहीं थी. उनका सपना था कि बेटा प्रशासनिक अफसर बने.

हालांकि सचिन का इस तरफ कोई रुझान नहीं था और न ही इस क्षेत्र की जानकारी थी. इसके बावजूद पिता का सपना पूरा करने के लिए उन्होंने जॉब छोड़ दी और दिल्ली जाकर सिविल सेवा की तैयारी शुरू कर दी.

पहली बार आईएएस की परीक्षा दी, लेकिन सफलता नहीं मिली. दूसरे प्रयास में उनका प्रारंभिक परीक्षा में चयन हुआ और आईएएस मेंस में भी शामिल हुए. इस बीच पीसीएस-2019 की परीक्षा में भी हिस्सा लिया था. इसमें पहले ही प्रयास में सचिन को सातवीं रैंक हासिल हुई.

सचिन अपनी सफलता का श्रेय पिता और मां गायत्री देवी को देते हैं. उनका कहना है कि प्रशासनिक सेवा में उनकी रूचि नहीं थी, लेकिन उन्हें यहां तक पहुंचाने में पिता ने हरसंभव कोशिश की. एक तरह से जितनी कोशिश मैंने किताबों में की, उससे भी कहीं अधिक पिता ने मुझे माहौल उपलब्ध कराने के लिए किया.

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