विकास दुबे से जुड़े कई किस्से अब सामने आ रहे हैं. इसमें अहम किरदार उसके मैनेजर जय बाजपेई का भी है. जय बाजपेई जिसकी किश्मत विकास दुबे से मिलने के बाद बदल गयी थी. फर्श से अर्श तक पहुंचा जय अब चुटकियों में बर्बाद भी हो गया है.

जय बाजपेई को लोग विकास दुबे के खजांची नंबर-1 के नाम से भी जानते हैं. जय बाजपेई 10 साल पहले नजीराबाद थाना क्षेत्र में एक छोटे से मकान में रहता था. वह जयकांत बाजपेई के प्रिंटिंग कारखाने में काम करता था.

बताया जाता है कि इसी दौरान जय हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे के संपर्क में आया. जय का गांव विकास के गांव के पास ही है. जय विकास दुबे की ब्लैकमनी को वाइट करने में लग गया. इस काम में उसके तीनों भाई उसका साथ देते थे. जय विकास दुबे के पैसे को रियल स्टेट, जमीनों की खरीद फरोख्त, सरकारी जमीनों पर कब्ज़ा करें का काम करता था.

धीरे-धीरे जय बाजपेई ने अकूत संपत्ति बना ली. कानपुर में आठ मकान, फ़्लैट, 6 लग्जरी गाड़ियां. जिस मकान में जय बाजपेई रहता था वह हर सुख सुविधा से लैस था. विकास दुबे के करोड़ों रूपये को उसने ब्याज पर बांट रखा था. उसकी लग्जरी लाइफ स्टाइल को देख पुलिस महकमें के आलाधिकारी भी आवभगत में लगे रहते थे.

उसके एक मकान में सिर्फ पुलिसकर्मी रहते थे. बिकरू प्रकरण के बाद इन्हें निलंबित किया गया था. बिकरू प्रकरण के बाद से ही जय बाजपेई की उल्टी गिनती शुरू हो गयी थी.

5 सितम्बर को कानपुर के विजय नगर चौराहे से जय बाजपेई की तीन लग्जरी कारें पकड़ी गयी थीं. जिसके बाद जांच में सामने आया था कि इन तीनों कारों का इस्तेमाल बिकास दुबे और उसके गुर्गों को सुरक्षित स्थान पर ले जाने के लिए होने वाला था. पुलिस ने जांच आगे बढ़ाई तो जय बाजपेई विकास दुबे की ब्लैकमनी को व्हाईट करने वाला निकला. बीते 4 सितम्बर को जय बाजपेयी के तीनों भाई अजयकान्त, रजयकांत और शोभित ने अदालत में सरेंडर कर किया था.

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