मुंबई के आरे में मेट्रो शेड बनाने के लिए काटे जा रहे पेड़ों का मामला जनआंदोलन बन गया है. एक ओर सरकार जहां पेड़ों को काट कर वहां मेट्रसे यार्ड बनाने की कोशिश में है तो दूसरी ओर उन पेड़ों को बचाने के लिए सोशल मीडिया से लेकर सड़क तक आंदोलन चल पड़ा है.

मामला यहीं तक सीमित नहीं रहा बल्कि छात्रों के एक समूह ने देश की सर्वोच्य अदालत का दरवाजा खटखटा दिया. छात्रों की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम को’र्ट ने आदेश देते हुए कहा कि फिलहाल अब कोई पेड़ नहीं काटा जाएगा और वहां पर यथास्थिती बनाए रखी जाए.

साथ ही अदालत ने कहा कि इस मामले की अगली सुनवाई 21 अक्टूबर को होगी. सर्वोच्य अदालत ने ये भी कहा कि पेड़ों को बचाने की कोशिश कर रहे जिन लोगों को पुलिस ने हिरासत में लिया है उन्हें तत्काल रिहा कर दिया जाए.

मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस अरूण मिश्रा और जस्टिस अशोक भूषण की बेंच ने महाराष्ट्र सरकार से पूछा कि आरे का क्षेत्र इको सेंसेटिव जोन में है या नहीं, अभी तक सरकार ने कितने पेड़ों को काटा है और बदले में कितने नए पौधे लगाए हैं, लगाए गए पौधों की मौजूदा स्थिती क्या है.

को’र्ट ने कहा कि अगर उस जमीन का एक या दो फीसदी हिस्सा भी वन क्षेत्र में है तो पेड़ नहीं काटे जा सकते. महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश वकील तुषार मेहता ने दलील दी कि पर्यावरण हम सभी के लिए एक महत्वपूर्ण चिंता का विषय है. पौधे लगाए जा रहे हैं. इस पर जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा कि पौधे लगाना एक अलग बात है, उनकी देखभाल करना एक अलग चीज है.

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