आज के इस दौर में कोई भी व्यक्ति किसी की बेवजह मदद करना पसंद नहीं करता है लेकिन आज भी ऐसे कई व्यक्ति मिल जाएंगे. जिनसे मिलने के बाद मानवता और इंसानियत पर एकाएक भरोसा बढ़ जाता है. इस तरह की ही घ़टना सूरत में घटित हुई जिसको देखने के बाद लोगों ने कहा कि अभी भी मानवता और इंसानियत पूर्ण रुप से समाप्त नहीं हुई है ऐसे लोग हैं जो अभी भी मानवता को जीवित रखे हुए हैं.

गौरतलब है कि ट्रैफिक रोड ब्रिगेड के एक कर्मचारी ने एक ऐसे आदिवासी लड़के की मदद की जो पैसे कमाने और मोबाइल पाने की लालसा में कमाने के लिए सूरत तक पहुंच गया था. मोबाइल फोन अपने पैसों से खरीदने के उद्देश्य से वो अपने घर डांग जिले के अहवा से सूरत पहुंच गया था.

पैसे कमाने की लालसा लिए ये लड़़का शहर में भूखे और प्यासे भटकता रहा. ट्रैफिक रोड कर्मचारी ने जब उसे देखा तो उन्होंने इस लड़की की मदद की खाना खिलाया और उसके घर भी भेज दिया. नेपाल के सूदूर पश्चिम प्रांत के अचम जिले के प्रवासी लक्ष्मण नेपाली शुक्रवार को सूरत के माजुरा गेट चौराहे पर अपनी ड्यूटी कर रहे थे, इस दौरान उन्होंने एरक लड़के को कुछ लोगों से भीख मांगते हुए देखा.

मुख्य रुप से गुजरात के आदिवासी जिले डांग में स्थित आहवा का निवासी 19 वर्षीय सूरज भोई 25 सितंबर को घर में किसी को बिना बताए पैसे कमाने की चाहत में सूरत पहुंचा था, वह पैसे कमाकर एक मोबाइल फोन चाहता था. गरीब परिवार उसको मोबाइल फोन दिलाने में अक्षम था. इसलिए उसने खुद के पैसों से मोबाइल लेने की बात ठानी और सूरत की ओर निकल पड़ा.

हालांकि यहां आने के बाद वो कई दिनों तक भूखा रहा, वो लोगों से मदद की तलाश में 10 किलोमीटर से अधिक पैदल चल चुका था इसके बाद भी उसको कोई आसरा या उम्मीद नजर नहीं आ रही थी. इस दौरान भगवान का रुप इस लड़के के लिए बनकर आए लक्ष्मण नेपाली जिन्होंने लड़के को खाना खिलाया. बस स्टैंड पर छोड़कर घर वापस जाने के लिए कहा. इस दौरान बस में बैठे लोगों से उक्त लड़के की मदद करने की अपील की.

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