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कहा जाता है कि कोशिश करने वालों की हार नहीं होती है फिर उसको चाहे जैसी समस्याओं का सामना करना पड़े. ऐसे ही हैं नवजीवन महाराष्ट्र के नासिक जिले के रहने वाले हैं, उनके पिता किसान है. जबकि मां प्राइमरी अध्यापिका था. घर में पढ़ाई लिखाई का बेहतर माहौल था, नवजीवन शुरुआत से ही पढ़ने में काफी होशियार थे. उन्होंने गांव से ही 10 वीं की परीक्षा पास की. इसके बाद 12 वीं की परीक्षा को अच्छे नंबरों से पास कर लिया.

इंटर की परीक्षा में अच्छे अंकों से उत्तीर्ण होने के बाद उन्हें महाराष्ट्र के ही एक इंजीनियरिंग कालेज में एडमिशन मिला यहां से उन्होंने सिविल इंजीनियरिंग से स्नातक किया. स्नातक करने के बाद ही वो यूपीएससी की तैयारी में लग गए. उन्होंने अपनी 12 वीं की पढ़ाई के दौरान ही यूपीएससी के पैटर्न को समझ लिया था. उनको पूरा यकीन हो गया था कि वो पहली बार में ही एग्जाम को क्लियर कर लेंगे.

इस दौरान उन्होंने परीक्षा दी और प्री क्लियर हो गया. लेकिन िसके बाद उनके शरीर को बीमारियों ने जकड़ लिया. मेंस के एक महीने पहले ही उनको डेंगू बुखार के कारण अस्पताल में भर्ती होना पड़ा. डेंगू से अभी वो उबर ही पाए थे कि उन्हें डायरिया हो गया इस दौरान उनका मोबाइल भी चोरी हो गया. इतनी सारी घटनाओं के बाद उनके कोचिंग टीचर एक ज्योतिषी के पास लेकर गए.

ज्योतिषी ने इस दौरान कड़े शब्दों में कहा कि बेटा तुम 27 साल से पहले कामयाब नहीं हो सकते तुम दिल्ली में टाइम पास करने गए हो. ज्योतिषी की यही बात उनके दिमाग में बैठ गई और वो तनाव में रहने लगे, लेकिन इस दौरान दोस्तों ने कहा कि ऐसा कुछ नहीं होता है और तुम अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो. क

हा कि अगर तुमको हारना ही पूरी ताकत के साथ लड़ते हुए हारो उस हार में अलग ही मजा है. वो तैयारी में लग गए और दिन रात की मेहनत उनकी रंग लाई. प्री, मेंस और इंटरव्यू क्लियर होने के बाद उनका नाम जब चयनसूची में आया तो उनका और उनके चाहने वालों के खुशी का ठिकाना नहीं रहा.

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