इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पारिवारिक विवाद के एक मामले में अहम फैसला सुनाते हुए कहा है कि डीएनए टेस्ट से साबित कर सकते हैं कि पत्नी बेवफा है या नहीं. दरअसल हमीरपुर के रहने वाले दंपती का फैमिली कोर्ट से तलाक हो चुका है, तलाक के तीन साल बाद पत्नी ने मायके में बच्चे को जन्म दिया.

पत्नी ने दावा किया कि बच्चा उसके पति का है जबकि पति ने पत्नी के साथ शारीरिक संबंध होने से इंकार किया है. जब ये मामला कोर्ट की दहलीज पर पहुंचा तो हाईकोर्ट ने कहा है कि शख्स बच्चे का पिता है या नहीं? ये साबित करने के लिए डीएनए टेस्ट सबसे बेहतर तरीका है कोर्ट ने ये भी कहा कि डीएनए टेस्ट से ये भी साबित हो सकता है कि पत्नी बेवफा है या नही.

गौरतलब है कि पति रामआसरे की ओर से फैमिली कोर्ट में डीएनए टेस्ट की मांग की अर्जी दाखिल की गई थी लेकिन फैमिली कोर्ट ने इस अर्जी को खारिज कर दिया था जिसके बाद पति ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था तो हाईकोर्ट ने ये फैसला सुनाया है.

पति के अनुसार वो 15 जनवरी 2013 से ही अपनी पत्नी के साथ नहीं रह रहा था इसके बाद 21 जून 2014 को उन दोनों के बीच तलाक हो गया था उसने इस दौरान दावा किया कि उसके पत्नी के साथ कोई भी संबंध नहीं था पत्नी अपने मायके में रह रही है 26 जनवरी 2016 को उनके एक बच्चे को जन्म दिया.

दावे के अनुसार दोनों के बीच 15 जनवरी 2013 के बाद से शारीरिक संबंध नहीं बनें. ऐसे में पति ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और कहा कि ये बच्चा उसकी नहीं है जबकि पत्नी का कहना है कि ये बच्चा उसके पति का ही है. इसके बाद पति ने पहले फैमिली कोर्ट में दरवाजा खटखटाया लेकिन उसकी अर्जी खारिज होने के बाद उसने हाईकोर्ट की ओर रुख किया जहां से हाईकोर्ट के जस्टिश विवेक अग्रवाल की एकल पीठ ने डीएनए कराने का आदेश दिया है.

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