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सिविल सेवा में जाने का सपना देखने वाले विद्यार्थी दिन रात मेहनत कर परीक्षा की तैयारी करते हैं, मेहनत के साथ ही परीक्षार्थी परीक्षा की तैयारी में लाखो रुपये खर्च कर देते हैं. इतना सबकुछ करन के बाद अगर उनका नाम सफल लोगों की सूची में नहीं आता है तो वे टू जाते हैं.

यूपीएससी को देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक माना जाता है. असफल होने के बाद कुछ विद्यार्थी तो इतना निराश हो जाते हैं कि अपना लक्ष्य ही बदल लेते हैं. ऐसे विद्यार्थियों को सौरभ पांडेय जैसे विद्यार्थियों से बहुत कुछ सीखने की जरुरत है जिन्होंने कभी हार नहीं मानी, हार मानने के बजाय उन्होंने सीखने में विश्वास किया.

सौरभ इस परीक्षा में लगातार 5 बार फेल हुए, इस दौरान लोगों ने उनके आत्मविश्वास को तोड़ना चाहा लेकिन उन्होंने अपना धैर्य और विश्वास नहीं खोया, और साल 2019 की परीक्षा में आलओवर 66 वीं रैंक पाकर सभी को जवाब दिया. उन्होंने छठवें प्रयास में परीक्षा को उत्तीर्ण किया.

गौरतलब है कि सौरभ बनारस के रहने वाले हैं उनके पिता कमलाकर पांडेय भारतीय जीवन बीमा निगम में मैनेजर के पद पर कार्यरत थे. उनकी शुरुआती शिक्षा बनारस में हुई. उन्होंने अपनी 12 वीं की पढाई डीएलडब्लू स्थित सेंट जांस स्कूल से की जिसके बाद उन्होंने साल 2013 में बीट्स पिलानी से इलेक्ट्रिकल इलेक्ट्रानिक्स में इंजीनियरिंग में स्नातक किया.

इसके बाद उन्होंने एक प्राइवेट नौकरी की जिसमें सैरली अच्छी ना होने के कारण उन्होंने सरकारी नौकरी की तैयारी को शुरु कर दिया. लेकिन किसी भी परीक्षा में उनको सफलता हाथ नहीं लगी. इसके बाद उन्होंने अपने पुराने लक्ष्य यूपीएससी की ओर कदम बढ़ा दिए. लगाचार पांच प्रयास में उन्होंने हार नहीं मानी अंततः वो छठवीं बार में सफल हो ही गए.

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