अगर आपके सपने बड़े हैं तो उनको पूरा होने से कोई नहीं रोक सकता, एक लड़की जिसका बचपन दिल्ली की रेलवे लाइन के किनारे बसी झुग्गियों में बीता. उनके पिता फुटपाथ में छोटे मोटे सामानों को बेच कर परिवार का गुजारा करते थे. सरकारी स्कूल में शिक्षा-दीक्षा प्राप्त की. इसके बाद ट्युशन पढ़ाया, सपनों को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत की. और यूपीएससी पास कर आईएएस आफिसर बन गई. ये कहानी है उम्मुल खेर की.
उम्मुल खेर ने वो सब कर दिखाया जो एक व्यक्ति की चाहत होती है. अभावग्रस्त जीवन, चुनौतियों से जूझते हुए उम्मुल खेर ने यूपीएससी की परीक्षा को उत्तीर्ण किया. उम्मुल खेर जो पैदा होने के बाद ही विभिन्न समस्याओं से जूझ रही थी. पैदा होने के साथ उनके शरीर में ऐसी बीमारी आई जिसमें हड्डियां बेहद कमजोर होती है. वो हड्डियों से जुडी एक बीमारी का शिकार थी, उन्हें एक छोटी सी भी चोट लगती है तो उन्हें फ्रैक्चर हो जाता है.
जिसके चलते उनकी 8 सर्जरी हुई. इतनी सारी समस्याओं से लड़ते हुए भी उन्होंने देश की सबसे प्रतिष्ठित मानी जाने वाली परीक्षा को उत्तीर्ण किया. उम्मुल खेर जो कि एक मुस्लिम परिवार से ताल्लुक रखती हैं. ये परिवार राजस्थान से दिल्ली में आकर बसा था, दिल्ली में परिवार ने निजामुद्दीन स्टेशन के पास आकर शरण ली. उनके पिता घर के खर्चों को चलाने के लिए वहीं पर छोटा मोटा काम करते थे.
साल 2000 में वहां से झुग्गियों को हटा दिया गया था. जिसके बाद उनका परिवार बेघर हो गया था, पिता का जो भी छोटा मोटा काम था वो भी छूट गया था अब वो लोग वहां से त्रिलोकपुरी आ गए. उस समय वो 6 वीं क्लास में पढ़ती थी. तभी से उन्होंने छोटे बच्चों को ट्यूशन पढ़ाना चालू कर दिया था. जब उम्मुल खेर आठवीं क्लास में पहुंची तो परिवार में उनकी पढ़ाई छुड़ाने की बात होने लगी. उनकी अम्मी उनको सिलाई-कढाई का काम सिखाना चाह रही थी.
लेकिन उम्मुल ने पारिवारिक परिस्थितियों को देखकर हार नहीं मानी, उन्होंने कालोनी के बच्चों को ट्यूशन पढ़ाया, निरंतर पढ़ाई की और हाईस्कूल परीक्षा को अच्छे नंबरों से पास किया. जिसके कारण उनको स्कालरशिप मिली. स्नातक की पढ़ाई के बाद उन्होंने जेएनयू में दाखिला लिया.
यहां से एमए करने के बाद वो जापान चली गई. जेएनयू से ही पीएचडी तक का सफर तय किया. पीएचडी के साथ ही उन्होंने यूपीएससी परीक्षा में बैठने का मन बनाया और पहली ही बार में उन्होंने परीक्षा को पास किया, आज त्रिलोकपुरी की हर लड़की उनकी ही तरह बनना चाहती है.
UPSC Civil Services exam 2017: Disowned at 14, born with fragile bone disorder, Ummul Kher bags rank 420 | https://t.co/Usw4VoM7wJ pic.twitter.com/gRfIFYjzGO
— The Indian Express (@IndianExpress) June 2, 2017
NWI Exclusive: In Conversation With 28-Yr-Old #ummulkher Who Cracked The #UPSC Exam
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