इरादे अगर बुलंद हों तो हर सपना पूरा हो जाता है. कड़ी मेहनत हमें मंजिल तक पहुंचा ही देती है. यह साबित कर दिखाया है एक ऐसे शख्स ने जिसे मजदूरी करनी पड़ी लेकिन इरादे पस्त नहीं पड़े. मां बांस की टोकरियां बेचकर घर चलाती. वहीं शराबी पिता ने सब कुछ बेच डाला था.
तमिलनाडु के तंजावुर जिले के रहने वाले एम शिवगुरु प्रभाकरन के परिवार की हालात काफी ख़राब थी. उनके पिता शराबी थे और मां-बहन बांस की टोकरी बुना करती थीं. इन टोकरियों को बेचकर मां घर चलाती थीं. पिता शराबी होने की वजह से घर की जिम्मेदारी प्रभाकरन पर आ गयीं.
बचपन में प्रभाकरन इंजीनियर बनना चाहते थे, इसकी कसक उन्हें लकड़ी काटते वक्त कचोटती रही. 2 साल तक प्रभाकरन ने आरा मशीन में लकड़ी काटने का काम किया. मजदूरी भी की. मजदूरी के बाद स्टेशन पर जाकर पढ़ाई करते.
इस बीच प्रभाकरन को एक दोस्त ने सेंट थॉमस माउंट के बारे में बताया जो पिछड़े लोगों के लिए ट्रेनिंग की सुविधा देते हैं. यहां से उनकी जिन्दगी बदल गयी. कड़ी मेहनत के बाद आईआईटी में दाखिला हो गया. आईआईटी की पढ़ाई पूरी करने के बाद प्रभाकरन ने एमटेक में एडमिशन लिया. यहां उन्होंने टॉप रैंक हासिल की.
साल 2017 में एम शिवगुरु प्रभाकरन ने यूपीएससी की परीक्षा में 101वीं रैंक हासिल की थी. उन्होंने ये रैंक चौथी बार में हासिल की थी. इससे पहले उन्हें तीन बार असफलता मिली थी. प्रभाकरन के अफसर बनने के बाद गांव में ख़ुशी लहर दौड़ गयी. उनकी संघर्ष और सफलता की कहानी हर छात्र के लिए मिसाल बनी है.