समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने 16 देशों के बीच होने वाली मुक्त व्यापार संधि पर केंद्र की मोदी सरकार को घेर’ते हुए इसे किसान विरो’धी कदम करार दिया है. उन्होंने कहा कि इस संधि से किसानों की जिंदगी और भी ज्यादा बदहाल हो जाएगी.
अखिलेश यादव ने कहा कि कि 04 नवम्बर 2019 को बैंकाक में 16 देशों के बीच होने वाले मुक्त व्यापार संधि (आर.सी.ई.पी) किसानों के हितों पर गहरा आघा’त करने वाली है. भारत सरकार को इस पर संसद में चर्चा होने तक हस्ताक्षर नहीं करना चाहिए. इस देश का किसान अपनी फसल का लागत मूल्य भी नहीं पाता है और कर्जदार रहता है. क्षेत्रीय समग्र व्यापार संधि (आर.सी.ई.पी) के लागू होने से कृषि पर संकट और गम्भीर हो जाएगा. इस समझौते से भारत के किसानों की जिंदगी और बदहाल हो जाएगी.

उन्होंने कहा कि विश्व भर में सरकारें फसलों की लागत में भारी छूट देती है और अपने किसानों की खेती को अच्छी सुविधाएं प्रदान करती है. इससे उनकी उपज के दाम बाजार में प्रतियोगी बने रहते है. भाजपा सरकार की कारपोरेट पक्षधर नीतियों के कारण भारतीय किसान विश्व बाजार में अपनी फसलें बेचने में अक्षम हैं. यहां उन्हें तमाम परेशानियों से गुजरना पड़ता है. खेती किसानी में उपयोग में आने वाले उपकरण हो या खाद, कीटनाशक, सिंचाई, बीज, बिजली सब उन्हें मंहगे मिलते हैं. बैंकों से कर्ज भी आसानी से नहीं मिलता है. कृषि की नई तकनीक उन तक नहीं पहुंच पाती है.
अखिलेश ने कहा कि क्षेत्रीय समग्र व्यापार संधि (आर.सी.ई.पी) से सर्वाधिक प्रभावित होगा डेयरी क्षेत्र. इसमें आयात शुल्क शून्य या लगभग शून्य हो जाने से 10 करोड़ डेयरी किसान परिवारों के रोजगार पर असर होगा. इसी तरह का खतरा गेंहू और कपास (जिसका आयात आस्ट्रेलिया व चीन से होता है) तिलहन (पाम आयल के कारण) और प्लांटेशन उत्पाद काली मिर्च, नारियल, सुपाड़ी, इलायची, रबर आदि पर होगा.
सपा मुखिया ने कहा कि क्षेत्रीय समग्र व्यापार संधि (आर.सी.ई.पी) से विदेशी कम्पनियों को खेती की जमीन अधिगृहीत करने, अनाज की सरकारी खरीद में हस्तक्षेप करने, खाद्यान्न प्रसंस्करण में निवेश करने तथा ई-व्यापार बढ़ाकर छोटे दुकानदारों को न’ष्ट करने से भारतीय किसान अधिक मात्रा में कारपोरेट पर निर्भर हो जाएंगे, जिनका मुनाफा किसानों की कीमत पर बढ़ेगा. भारत सरकार को स्पष्ट करना चाहिए कि वह गोपनीय तरीके से काम क्यों कर रही है. इस संधि पर सार्वजनिक चर्चा से क्यों बचा जा रहा है?
भाजपा सरकार राष्ट्रीय हितों से समझौता कर विदेशी संस्थानों को छूट देने की साजिश कर रही है. उसकी नीतियां किसान विरोधी और देश विरो’धी है. उसकी कुनीतियों के चलते ही देश में किसानों का खेती से मोहभंग होता जा रहा है. कृषि क्षेत्रफल कम होता जा रहा है यह चिंता की बात है. भाजपा सरकार को विदेशी साजिशों में शामिल होने से परहेज करना चाहिए.