जल्द ही अब भेड़-बकरियों के भी आधार नंबर बनेंगे. दस डिजिट की संख्या वाला यह नंबर भेड़ बकरियों को अलग पहचान दिलाएगा. नेशनल एनिमल डिजिट कण्ट्रोल प्रोग्राम में भेड़-बकरियों को शामिल किया गया है. इससे पहले केवल गोवंश और महीश वंशीय पशुओं को ही एनएडीसीपी की सुविधाएं मिल रही थीं.

अब एनडीसीपी के तहत गोवंश और महीश वंश के अलावा भेड़ और बकरियों का रिकॉर्ड भी पोर्टल पर दर्ज होगा. इसका फायदा होगा कि भेड़-बकरियों को भी एनडीसीपी के तहत इलाज की सुविधाएं मिलेंगी. पोर्टल पर भेड़-बकरी के उम्र और पालने वल३ए नाम और पता भी ऑनलाइन दर्ज किया जाएगा.

गोवंश और महीश वंश की तरह भेड़-बकरी को भी खुरपका-मुंहपका के टीके लगाए जाएंगे. भेड़-बकरियों को दस अंकों का नंबर दिया जाएगा. यह इनके कान में एक छल्ले पर लिखा होगा. ब्लाक के पशु अस्पताल में हर गांव की भेड़ और बकरी का रजिस्टर बनाकर रिकॉर्ड रखा जाएगा.

नेशनल एनिमल डिजीज कण्ट्रोल प्रोग्राम साल 2019 में लांच किया गया था. तब बताया गया था कि इसके जरिए देशभर में 2024 तक 50 करोड़ से ज्यादा पशुओं का टीकाकरण कर उन्हें रोगों से बचाया जाएगा. पशुओं के स्वास्थ्य, संवर्धन, पशन के लिए शुरू किए गए इस कार्यक्रम के तहत पशुओं में होने वाली अलग-अलग बीमारियों का टीकाकरण करवाया जाएगा. यह कार्यक्रम केंद्र सरकार की ओर से शत-प्रतिशत वित्तपोषित है.

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