कृषि कानूनों को लेकर किसानों का विरोध जारी है. पंजाब और हरियाणा के किसान बीते 20 दिनों से दिल्ली से सटे सिंधु और टिकरी बॉर्डर पर डेरा जमाए हुए हैं. उत्तर प्रदेश के किसान भी दिल्ली-यूपी गेट पर जमे हुए हैं. किसान इन कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं जबकि सरकार इसे वापस लेने को तैयार नहीं है.

किसानों का कहना है कि बिना मांग पूरी हुए वो नहीं हटेंगे और अगर उनकी मांगें न मानी गई तो दिल्ली जाने वाले सभी रास्तों को पूरी तरह से बंद कर दिया जाएगा. किसानों के आंदोलन से उद्योग जगत को खासा नुकसान हो रहा है.

भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग मंडल एसोचैम का कहना है कि किसानों के विरोध के कारण रोजाना तकरीबन 3500 करोड़ का घाटा हो रहा है. किसान आंदोलन से पंजाब, हरियाणा और हिमांचल प्रदेश जैसे राज्यों की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ रहा है.

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एसोचैम के मुताबिक इन राज्यों की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि और हॉर्टीकल्चर पर आधारित है. किसानों के विरोध के कारण सड़कें, टोल प्लाजा और रेलवे प्रभावित हो रहे हैं.

एसोचैम के सचिव दीपक सूद ने कहा कि टेक्सटाइल, ऑटो कंपोनेंट, साइकिल और खेल के उत्पादों वाली इकाइयां अपने ऑर्डर को पूरा नहीं कर पाएंगी. फल और सब्जियों की सप्लाई भी प्रभावित हो रही है जिससे खुदरा दाम बढ़ रहे हैं.

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