चीनी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने भारत पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने के लिए 1962 की याद दिलाई है. अखबार का दावा है कि भारत पंडित जवाहर लाल नेहरु की गलती दोबारा दोहरा रहा है. उसका कहना है कि भारत का वर्तमान प्रशासन सीमा पर आक्रामक व्यवहार दिखा रहा है.
चीनी विश्लेषक झांग शेंग कहते हैं कि वर्तमान स्थिति वर्ष 1962 की तरह ही है. भारत अपने हितों के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की मदद से चीन पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है. वर्ष 1962 में चीन सबसे अलग थलग था. उस समय चीन अमेरिका से मुकाबला कर रहा था और उस समय रूस से भी चीन अलग राह पर चल रहा था. भारत गुटनिरपेक्ष आंदोलन का अगुवा था.
झांग ने कहा कि वर्ष 1962 में भारत ने अंतर्राष्ट्रीय माहौल का फायदा उठाने की कोशिश की थी. इसका परिणाम यह हुआ कि भारत ने तीसरी दुनिया के देशों के नेता पदवी भी खो दी. झांग ने दावा किया कि भारत की मोदी सरकार भी नेहरु की रणनीति पर काम कर रही और चीन-अमेरिका तनाव का फायदा उठाना चाहती है.
झांग ने कहा कि भारत के रक्षा मंत्री अतिआत्मविश्वास दिखा रहे हैं. एक अन्य चीनी विश्लेषक किआंग फेंग का कहना है कि जयशंकर और वांग यी से मुलाकात के बाद अब गेंद भारत के पाले में है. कहा कि देखना है कि भारत कैसे 5 सूत्री सहमती को लागू करता है.