राज्यसभा में विदाई संबोधन के दौरान कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद के प्रति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भावुकता ने कई सवाल भी पैदा किए. भविष्य की राजनीति पर अटकलें शुरू हो गयी. सोमवार को गुलाम नबी आजाद का राजनीतिक सफ़र समाप्त हुआ. विदाई भाषण और उसके बाद के घटनाक्रम को देखते हुए अटकलें उनके भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने की लगने लगी.

एक इन्टरव्यू के दौरान बीजेपी में शामिल होने की अटकलों के सवाल पर आजाद ने कहा कि मैं भाजपा में उस दिन शामिल होऊंगा, जब हमारे कश्मीर में काली बर्फ गिरेगी. और सिर्फ बीजेपी ही क्यों, मैं किसी भी पार्टी में शामिल हो जाऊंगा. जो लोग ऐसी अफवाह फैला रहे हैं, वह मुझे नहीं जानते.

उन्होंने कहा कि जब राजमाता सिंधिया उप नेता प्रतिपक्ष थीं, तो उन्होंने मेरे बारे में कुछ आरोप लगाया. मैं उठा और कहा कि मैं इस आरोप को गंभीर मानते हुए सलाह दे रहा हूं कि अटल बिहारी वाजपेयी, सिंधिया और एलके आडवाणी की सदस्यता वाली एक कमेटी गठित कर 15 दिनों में अपनी रिपोर्ट दें. कमेटी जो भी सजा देगी मुझे स्वीकार्य है.

बाद में वाजपेयी सदन में आए और फिर मैंने उन्हें पूरी जानकारी दी. उन्होंने कहा कि मैं सदन और गुलाम नबी आजाद से माफ़ी चाहता हूं. संभव है कि राजमाता सिंधिया उन्हें नहीं जानती लेकिन मैं जानता हूं.

कांग्रेस अध्यक्ष और पार्टी के लोगों ने उनके रिटायरमेंट पर कुछ कहा. इस सवाल पर उन्होंने कहा कि पार्टी अध्यक्ष ने एक पत्र लिखकर मेरे काम की प्रशंसा की. कहा कि हमें संगठन को मजबूत करने के लिए मिलकर काम करना होगा और उसके बाद मैं उनसे मिला.

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