ऋतु परिवर्तन हो गया है. अब हेमंत ऋतु ख़त्म होकर शिशिर की शुरुआत हो गयी है. यह 18 फरवरी तक रहेगी. इसके बाद 19 फरवरी से बसंत ऋतु की शुरुआत होगी. 21 दिसंबर को सूर्य के उत्तरायण होने से शिशिर ऋतु की शुरुआत हुई है. हिंदू कैलेण्डर के मुताबिक पौष और माघ महीना रहेगा इस दौरान.

शीत ऋतु के दो हिस्से माने जाते हैं. हलकी गुलाबी ठंड हेमंत ऋतु तो तेज-तीखी ठंड शिशिर ऋतु कहलाती है. इन ऋतुओं के मुताबिक ही हमारी परम्पराएं बनी हैं.

धर्मग्रन्थ में बताए गए व्रत-पर्व और परम्पराएं ठंड को ध्यान में रखकर ही बनाए गए हैं. जो सेहत के लिए भी फायदेमंद हैं. शीत ऋतु के दौरान मकर संक्रांति, लोहड़ी, पोंगल, टिल चतुर्थी, अमावस्या और पूर्णिमा पर्व मनाए जाते हैं. इन उत्सवों और त्योहारों पर किए जाने वाले कामों को मौसम का ध्यान रखते हुए परम्पराओं को शामिल किया है.

शीत ऋतु के दौरान सूर्य, मकर और कुम्भ राशियों में रहता है. शनि की राशियों में सूर्य के आ जाने से मौसम में रूखापन बढ़ जाता है. यह सूर्य का उत्तरायण काल होता है. इस दौरान शारीरिक ताकत में भी कमी आने लगती है.

शीत ऋतु के दौरान सूर्य पूजा का भी महत्व है. इस परंपरा को वैज्ञानिक नजरिए से देखा जाए तो इन दिनों कैल्शियम की कमी दूर करने के लिए तिल और गुड़ से बनी चीजें खाई जाती हैं. सूरज की किरणों में विटामिन ही होता है. इसलिए ठंड के दिनों में सुबह जल्दी धूप में यानी सूरज के सामने खड़े होकर पूजा की जाती है.

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