केंद्र की मोदी सरकार द्वारा लागू किए गए तीन नए कृषि कानूनों का विरोध लगातार जारी है. किसान बीते 53 दिनों से इतनी भीषण ठंड के बावजूद दिल्ली से सटी सीमाओं पर बैठे हुए हैं और इन कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं. सरकार और किसानों के बीच कई दौर की बातचीत के बाद भी अब तक इस मसले का कोई हल नहीं निकल पाया है.

किसान कानून वापसी से कम पर मानने को तैयार नहीं हैं और सरकार इसे वापस लेने के मूड में नहीं है. सरकार की ओर से लगातार इन कानूनों को किसान के हक में बेहतर बताने के प्रयास जारी हैं.

अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव हन्नान मोल्लाह ने आज कहा कि हम तकरीबन दो महीने से इस ठंड के मौसम में परेशान हो रहे हैं, मर रहे हैं और सरकार हमें तारीख पे तारीख दे रही है. उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से इस मामले को टालने की कोशिश हो रही है, उनकी साजिश है कि हम थक जाएं और वापस चले जाएं.

सुप्रीमकोर्ट द्वारा चार सदस्यों की कमेटी के गठन को लेकर किसान नेता हन्नान मोल्लाह ने कहा कि हमने तो ऐसी बात सोची भी नहीं थी और न ही चर्चा की थी. उन्होंने कहा कि हम कोर्ट नहीं गए और अभी भी जाने का सवाल नहीं है.

भाकियू नेता राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार इस आंदोलन को तोड़ने की कोशिश कर रही है. उन्होंने कहा कि सरकार एमएसपी पर बात नहीं कर रही है और तीनों कानूनों में संशोधन करना चाह रही है. टिकैत ने कहा कि 19 जनवरी की बैठक में भी हम तीनों कानूनों को रद्द करने और एमएसपी पर कानून बनाने की मांग करेंगे.

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