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असदुद्दीन ओवैसी की सूबे में दस्तक को देखते हुए सपा मुखिया अखिलेश यादव ने अपने कोर वोट बैंक मुस्लिमों को साधे रखने के लिए अहमद हसन और किसान आंदोलन को देखते हुए जाट समुदाय से आने वाले राजेंद्र चौधरी को एमएलसी प्रत्याशी बनाया है.

हालांकि संख्या बल के आधार पर सपा एक सीट पर तो जीत दरज कर सकती है लेकिन दूसरी सीट पर पेंच फंस सकता है, क्योंकि एक सीट को जीतने के लिए 32 विधायकों की आवश्यकता होगी जबकि सपा के पास 48 विधायक है. ऐसे में एक सीट तो सुरक्षित है लेकिन दूसरी सीट के लिए 16 विधायक ही शेष बचेंगे जिससे मामला फंसता हुआ नजर आ रहा है.

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गौरतलब है कि यूपी विधान परिषद की 12 सीटों पर 28 जनवरी को चुनाव होने हैं. सपा ने अहमद हसन और राजेंद्र चौधरी को उतारकर अपने पत्ते खोल दिए है जबकि बीजेपी की ओर से अभी प्रत्याशियों का एलान नहीं किया गया है.

हालांकि बीजेपी का इस चुनाव में पलड़ा भारी रहना वाला है. इसी कारण बीजेपी के नाम पर 10 और बसपा के नाम पर दो नामांकन पत्र खरीदे गए हैं. सपा को सिर्फ एस सीट पर ही जीत हासिल हो सकती लेकिन अखिलेश यादव ने दो उम्मीदवारों को जमीन में उतारकर चुनाव को रोचक बना दिया है.

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