देश में छुपे कालेधन पर लगाम लगाने के लिए केंद्र की मोदी सरकार की ओर से कोशिशें लगातार जारी हैं. मोदी सरकार की मंशा है कि देश को कालेधन व भ्रष्टाचार से मुक्त कराना है. इसके लिए सरकार नेटबंदी जैसा कड़ा फैसला ले चुकी है. नोटबंदी के बाद अब सरकार एक और कड़ा कदम उठाने की तैयारी करने जा रही है.

सरकार की नजर अब आपके घर पर रखी पीली धातु यानि कि सोने पर टिक गई है. सरकार को ये आशंका है कि कालेधन को सोने के रूप में परिवर्तित करके देश में ही छुपाया जा रहा है. इसी पर लगाम लगाने के लिए सरकार इसे वैध बनाने के लिए ‘आम माफी योजना’ लाने जा रही है.

इस योजना के तहत आपको अपने पास रखे सोने का खुलासा करना पड़ेगा. आम माफी योजना के तहत सोने पर लगने वाला कर की दरें क्या होंगी ये अभी तय नहीं है. सूत्रों ने संकेत दिए कि यह दर लगभग 30 फीसदी और शिक्षा उपकर के साथ प्रभावी दर लगभग 33 फीसदी हो सकती है.

विश्लेषक ने कहा योजना का विचार अच्छा है, लेकिन इसका प्रभावी कार्यान्वयन खासा मुश्किल है. लोग लंबे समय से सोना जमा करते आ रहे हैं और कई अवसरों पर पीली धातु विरासत में मिलती है और इसका लेनदेन का कोई ब्योरा नहीं होता है. साथ ही लोगों के लिए सोना घोषित करना खासा मुश्किल होगा, जब उन्हें मूल्य का एक तिहाई कर के रूप में चुकाना होगा.

ऐसा अनुमान है कि भारतीयों के पास लगभग 20 हजार टन सोना जमा होगा. हालांकि, अघोषित आयात, विरासत में मिले सोने आदि को जोड़ लें तो भारत में 25,000-30,000 टन सोने का वास्तविक भंडार होने का अनुमान है.

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