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जनसंघ के संस्थापकों में से एक पंडित दीनदयाल उपाध्याय की आज पुण्यतिथि है. इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज भाजपा सांसदों और कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि हमें गर्व होता है कि हम अपने महापुरूषों के सपनों को पूरा कर रहे हैं. हमें गर्व है कि हमारी विचारधारा देशभक्ति को ही अपना सबकुछ मानती है. हमारी विचारधारा राष्ट्र प्रथम की बात करती है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज जब देश में इतने सकारात्मक बदलाव हो रहे हैं, पूरी दुनिया में भारत का कद बढ़ रहा है, तो कौन भारतीय होगा जिसका सीना चौड़ा न होता होगा. आज विश्व भर में फैला हुआ भारतीय समुदाय जिस गर्व के साथ जी रहा है उसका कारण भारत में हो रही गतिविधि है.

उन्होंने कहा कि हमारे राजनीतिक दल हो सकते हैं, हमारे विचार अलग हो सकते हैं, हम चुनाव में पूरी शक्ति से एक दूसरे के खिलाफ लड़ते हैं पर इसका मतलब ये नहीं कि हम अपने राजनीतिक विरोधी का सम्मान ना करें.

प्रणव मुखर्जी, तरुण गोगोई, एस.सी.जमीर इनमें से कोई भी राजनेता हमारी पार्टी या फिर गठबंधन का हिस्सा कभी नहीं रहे. लेकिन राष्ट्र के प्रति उनके योगदान का सम्मान करना हमारा कर्तव्य है.

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पीएम मोदी ने कहा कि राजनीतिक अस्पृश्यता का विचार हमारा संस्कार नहीं है. आज देश भी इस विचार को अस्वीकार कर चुका है. हमारी पार्टी में वंशवाद को नहीं कार्यकर्ता को महत्व दिया जाता है. हमारी पार्टी, हमारी सरकार आज महात्मा गांधी के उन सिद्धांतों पर चल रही है जो हमें प्रेम और करुणा के पाठ पढ़ाते हैं.

नरेंद्र मोदी ने कहा कि जनता इन छह सालों में हमारी नीतियों को भी देख चुकी है और सबसे बड़ी ताकत जो है वो देश ने हमारी नीयत को देखा है, परखा है और पुरस्कार भी दिया है. हमें उसी विश्वास को लेकर आगे बढ़ना है.

उन्होंने कहा कि हमें अपने विचारों को व्यापक बनाने का प्रयास भी लगातार करना चाहिए. इसके लिए दीनदयाल जी हमेशा अध्ययन पर विशेष जोर देते थे. आप सभी अध्ययन के लिए जरूर समय निकालें. इससे आपके राजनीतिक जीवन में एक नई दिशा मिलेगी, आप एक अलग छाप छोड़ पाएंगे.

पीएम ने कहा कि अगर हमें राजनीति और राष्ट्रनीति में एक को स्वीकार करना होगा, तो हमें संस्कार मिले हैं हम राष्ट्रनीति को स्वीकार करेंगे, राजनीति को नंबर दो पर रखेंगे. ये हमारी विचार धारा है कि हमें राजनीति का पाठ, राष्ट्र नीति की भाषा में पढ़ाया जाता है. हमारी राजनीति में भी राष्ट्र नीति सर्वोपरि है.

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