प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह में हिस्सा लिया. वह वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए शताब्दी समारोह में शामिल हुए और कार्यक्रम को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि एएमयू में मौजूद इमारतें सिर्फ बिल्डिंग नहीं है, इसके साथ शिक्षा का जो इतिहास जुड़ा है, वो भारत की अमूल्य धरोहर है.

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज एएमयू से तालीम लेकर निकले लोग भारत के श्रेष्ठ संस्थानों ही नहीं दुनियाभर में छाए हुए हैं. विदेश यात्राओं के दौरान यहां के अलुम्नाई मिलते हैं, जो गर्व से बताते हैं कि एएमयू से हैं. 100 वर्ष के इतिहास में एएमयू ने लाखों जीवन को तराशा है, संवारा है.

उन्होंने कहा कि बहुत से लोग बोलते हैं कि एएमयू कैम्पस अपने आप में एक शहर की तरह है. अनेक विभाग, दर्जनों हॉस्टल, हजारों टीचर-छात्रों के बीच एक मिनी इंडिया नजर आता है. यहां एक तरफ उर्दू पढ़ाई जाती है, तो हिंदी भी. अरबी पढ़ाई जाती है तो संस्कृत की शिक्षा भी दी जाती है.

यहां लाइब्रेरी में कुरान है तो रामायण भी उतनी ही सहेजकर रखी गयी है. हमें इस शक्ति को न भूलना है न कमजोर पड़ने देना है. एएमयू के कैम्पस में एक भारत-श्रेष्ठ भारत की भावना मजबूत हो, हमें इसके लिए काम करना है.

आगे कहा कि बीते 100 वर्षों में एएमयू ने दुनिया के कई देशों से भारत के संबंधों को सशक्त करने का भी काम किया है. उर्दू, अरबी और फ़ारसी भाषा पर यहां जो रिसर्च होती है, इस्लामिक साहित्य पर जो रिसर्च होती है, वो समूचे इस्लामिक वर्ल्ड के साथ भारत के सांस्कृतिक रिश्तों को नयी उर्जा देती है.

उन्होंने कहा कि मैं आपको सर सैयद अहमद खां का वह वक्तव्य याद दिलाना चाहता हूं जिसमें उन्होंने कहा था कि अपने देश की चिंता करने वाले हर व्यक्ति का पहला कर्तव्य यही है कि वह देश के हर व्यक्ति के कल्याण के लिए कार्य करे, उसका धर्म, मत और पंथ कुछ भी हो. आगे और भी पीएम मोदी ने कई बातें कहीं.

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